Coal Scam Case: पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को 3 साल की सजा, एक लाख के मुचलके पर मिली जमानत
Coal Scam Case कोयला भ्रष्टाचार मामले में दोषी साबित हुए पूर्व केन्द्र मंत्री दिलीप रे (Dilip Ray) को सीबीआइ अदालत ने एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी है सीबीआइ की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। Coal Scam Case, कोयला घोटाला मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे (Dilip Ray) और अन्य आरोपियों को एक लाख के मुचलके पर जमानत दे दी है। गौरतलब है कि 1999 झारखंड कोल ब्लॉक आवंटन मामले में अदालत ने उन्हें सोमवार सुबह तीन साल की सजा सुनाई थी। बता दें कि दिलीप रे को सजा सुनाए जाने पर उनके समर्थकों में निराशा का माहौल था।
दिलीप रे पर सन् 1999 में झारखंड के गिरिडीह स्थित ब्रह्मडिहा कोयला खदान आवंटन में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगा था। इस मामले में दिलीप रे के साथ 4 लोग दोषी साबित हुए थे। 6 अक्टूबर को विशेष सीबीआइ अदालत ने इन्हें दोषी साबित किया था। 14 अक्टूबर को विशेष सीबीआइ अदालत में सीबीआइ एवं अभियुक्तों के वकीलों की तरफ से बहस हुई थी। सीबीआइ वकील ने अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के लिए कहा था एवं प्रतिपक्षण वकील ने अभियुक्त की आयु तथा पहले से कोई आपराधिक रिकार्ड ना होने से उनके खिलाफ सहूलियत बरतने के लिए निवेदन किया है। सीबीआइ विशेष अदालत के न्यायाधीश भरत पराशर ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद राय को सुरक्षित रखते हुए आज कोर्ट में हाजिर होने के लिए निर्देश दिया था।
इनके अलावा इस मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा दोषी साबित हो चुके हैं। उन्हें तीन साल की जेल के साथ 25 लाख रुपये का जुर्माना हुआ था। उसी तरह से पूर्व खदान सचिव एचसी.गुप्ता को भी तीन साल की जेल एवं 1 लाख रुपये का जुर्माना हुआ था। अब दिलीप रे को अदालत क्या सजा सुनाती है, इस पर प्रदेश के लोगों की नजरें टिकी हुई थीं।
क्या है मामला
सीबीआइ ने आरोपपत्र में कहा था कि मई 1998 में सीटीएल ने कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए मंत्रालय में आवेदन किया था। कोल इंडिया लिमिटेड ने मंत्रालय को सूचित किया कि जिस जगह पर खनन के लिए आवेदन किया गया है, वहां खतरा है। क्योंकि वह खान क्षेत्र पानी से भरा हुआ है। अप्रैल 1999 में कंपनी ने फिर से आवेदन किया और मंत्री दिलीप रे को नए आवेदन पर शीघ्रता से विचार करने की बात कही।
मई 1999 में आवेदन फाइल दिलीप रे के मंत्रालय से तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव के पास आई और वहां से तत्कालीन अतिरिक्त सचिव नित्या नंद गौतम के पास भेजी गई। गौतम ने अपने पिछले अवलोकन से यू टर्न ले लिया और कोयला ब्लॉक सीटीएल को आवंटित करने की सिफारिश की। सीटीएल को कोयला ब्लॉक मिल गया, लेकिन अनुमति के बिना ही वहां पर खनन किया गया था।
Coal Scam Case: पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को सजा सुनाए जाने से समर्थकों में मायूसी