फुटबॉल में दिखाया दम
आज फुटबॉल जगत में भले ही भारत का नाम प्रमुखता से नहीं लिया जाता। लेकिन एक समय था जब भारतीय फुटबॉल टीम दुनिया में बडी टीमों को टक्कर देती रही थी। 50-60 के दशक में भारतयी फुटबाल दुनिया भर में छाया हुआ था।
आज फुटबॉल जगत में भले ही भारत का नाम प्रमुखता से नहीं लिया जाता। लेकिन एक समय था जब भारतीय फुटबॉल टीम दुनिया में बडी टीमों को टक्कर देती रही थी। 50-60 के दशक में भारतयी फुटबाल दुनिया भर में छाया हुआ था। 1956 के मेलबर्न ओलंपिक खेलों में भारतीय फुटबॉल का जलवा दुनिया ने देखा। भारतीय टीम पहली बार सेमीफाइनल तक का सफर करने में कामयाब रही। क्वार्टर फाइनल में उसने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराया था। इस मैच में नेविन डिसूजा ने तिकड़ी दागी थी। सेमीफाइनल में हालांकि जोरदार संघर्ष के बाद भारत को यूगोस्लाविया से 1-4 से मात मिली, लेकिन उसने दिखा दिया कि फुटबॉल में भी वह कुव्वत रखता है। भारतीय फुटबाल टीम ने लगातार चार ओलंपिक खेलों 1940, 1952, 1956, 1960 में क्वालीफाई किया था। 1956 ओलंपिक में भारत को चौथा स्थान मिला जो उस समय तक किसी भी एशियाई टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारतीय टीम के उपकप्तान निवेली स्टीफन डीसूजा ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले में शानदार हैट्रिक भी जमाई जो किसी भी एशियाई खिलाडी का ओलंपिक में पहला हैट्रिक रहा। डीसूजा को 1956 ओलंपिक खेलों में गोल्डन बूट अवार्ड से नवाजा गया।
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