नाम बदला पर नहीं बदली तस्वीर
गांगपुर स्टेट के नाम से पहचाना जाने वाला वर्षों पुराना राजगांगपुर शहर आजतक विकास की बाट जोह रहा है।
तन्मय सिंह, राजगांगपुर
गांगपुर स्टेट के नाम से पहचाना जाने वाला वर्षों पुराना राजगांगपुर शहर आजतक विकास की बाट जोह रहा है। पहले यह एक छोटा सा कस्बा हुआ करता था जिसका नाम गांगपुर स्टेट था। धीरे-धीरे इस कस्बे में कल कारखाने लगने लगे तो इसका नाम गांगपुर स्टेट से बदलकर राजगांगपुर रख दिया गया। सामरिक, व्यवसायिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राजगांगपुर शहर के इर्द-गिर्द दर्जनों कल-कारखाने होने के साथ शहर कई उद्योगों की जननी रहा है। जिनमें स्कैन स्टील, ओसीएल रिफैक्ट्रीज वार्क और विश्व-प्रसिद्ध डालमिया भारत सीमेंट कंपनी प्रमुख हैं। इन सबके अलावा अन्य कई छोटे-बड़े कल-कारखानों की एक श्रृंखला शहर को घेरे हुए हैं। शहर से शुरू इन उद्योगों और उद्यमियों ने अपने विकास के लिए शहरांचल के प्राकृतिक स्रोतों के साथ जनमानस का भी खूब दोहन किया। लेकिन इन उद्योगों व उद्यमियों को प्रगति और समृद्धि देने वाला शहर आज भी खुदगर्जी, प्रशासन की अनदेखी, राज्य सरकार के सौतेलेपन और केंद्रीय मंत्रियों के जुबानी जुमलों दलदल में फंसकर अपने विकास की बाट जोह रहा है।
मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं :
राजशाही से निजात मिलने के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था में आए शहर के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं सड़क, बिजली, पानी तक के लिए परेशान होना पड़ता है। वह भी तब जबकि शहरांचल से कई नेता विधायक एवं सांसद रहते हुए मंत्री पद का भी सुख भोग चुके हैं। लेकिन प्रबल इच्छा शक्ति के अभाव में राजगांगपुर उद्यम बहुल शहरों से कदमताल नहीं कर पा रहा है।
स्टेशन पर सुविधा नहीं, फाटक पर जाम का झाम
हावड़ा शहर को मुंबई से जोड़ने वाले रेल मार्ग की कड़ी होते हुए भी शहर की जनता को यहां स्टेशन पर किसी तरह की विशेष सुविधा का लाभ नही मिलता। ऊपर से रेलवे फाटक पार करने के लिए शहरवासी घंटों जाम के झाम से जूझकर पसीने-पसीने होते हैं। महज 25 फीट के फाटक-मार्ग को पार करने के लिए लोगों को पिछले 25 वर्षों से एक पुल का इंतजार है जो खत्म ही नहीं हो रहा है। कमोवेश यही हाल स्वास्थ्य, शिक्षा, जलापूर्ति, बिजली का भी है।
सबडिवीजन की मांग पर भी सुनवाई नहीं : शहर में और भी कई तरह की बुनियादी और आवश्यक सुविधाओं की कमी है। जैसे की राजगांगपुर को सबडिवीजन बनाना वर्षों से शहरवासियों की मांग है जोकि आज तक पूरी नहीं हुई है। ब्लड बैंक और शवदाह गृह की अनुपलब्धता, लिपलोई और रानीबांध इलाके में बस-टर्मिनल, डेली मार्केट में कांप्लेक्स, शहर के एकमात्र बस-स्टैंड में पेयजल की समुचित व्यवस्था, कौसल विकास केंद्र, जेल भवन को यूथ हॉस्टल एवं स्पोर्ट हॉस्टल बनाने, अंडर ग्राउंड केबुल सिस्टम की सुविधा, नगरपालिका में आधार कार्ड एवं वोटर कार्ड का निर्माण, मुख्य सड़क को अतिक्रमण मुक्त करने के साथ चौड़ीकरण आदि मांगें आज भी लंबित हैं।