घरेलू हिसा से निपटने पुलिस ने शुरू किया फोन-अप प्रोग्राम
लॉकडाउन में घरेलू हिसा से निपटने ओडिशा पुलिस ने फोन अप प्रोग्राम की शुरूआत की है।
जासं, राउरकेला : लॉकडाउन में घरेलू हिसा से निपटने ओडिशा पुलिस ने फोन अप प्रोग्राम की शुरूआत की है। सुंदरगढ़ के एसपी ने अपने ऑफिसियल फेसबुक एकाउंट के जरिये बताया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान घर में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली घरेलू हिसा की समस्याओं को देखने और ऐसी महिला पीड़ितों को बचाने के लिए, ओडिशा पुलिस फोन-अप प्रोग्राम शुरू कर रही है। यह फोन-अप प्रोग्राम एससीआरबी के राज्य स्तरीय कॉल सेंटर के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
कॉल सेंटर से उन महिलाओं को टेलीफोन कॉल किया जाएगा जो अतीत में घरेलू हिसा की शिकार थीं। यदि किसी मामले में निरंतर हिसा की सूचना दी जाती है, तो पीड़ित की स्थिति का पता लगाने के लिए जिला स्तर पर भौतिक सत्यापन किया जाएगा। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के कॉल सेंटर से ऐसे मामले को डीएसपी अथवा सहायक डीएसपी देखेंगे। अनुवर्ती कार्रवाई के लिए महिलाओं के खिलाफ अपराध जांच ईकाई (आइयूसीएडब्ल्यू) को सौंप दिया जाएगा।
इसे लेकर सुंदरगढ़ पुलिस ने हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। जिसमें एसडीपीओ व थाना प्रभारी का नंबर है। ताकि घरेलू हिसा के मामले को लेकर पीड़ित को थाने में आने की जरूरत न पडे। टेलीफोनिक शिकायत के बाद पुलिस उनके घर तक पहुंच जाएगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। आरपीएफ की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में
लॉक डाउन में झारखंड राज्य के टाटा नगर से एक युवक पैदल छत्तीसगढ़ अपने घर जाने के लिए रेल पटरी के किनारे चलते हुए झारसुगुड़ा पहुंच गया। यहां वह एक मालगाड़ी की गार्ड बोगी में सवार होकर ब्रजराजनगर तक पहुंच गया। जहां जीआरपी द्वारा उसे पकड़कर प्रशासन के हवाले किया गया है।
यह मामला सामने आने के बाद आरपीएफ की सुरक्षा व्यवस्था कठघरे में आ गई है। लॉक डाउन के कारण सभी सवारी ट्रेनों का परिचालन बंद होने से स्टेशन में सिर्फ मालगाड़ी चालक, सह चालक एवं अधिकारियों का आना जाना होता है। इस नाजुक स्थिति में आरपीएफ की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। रेल संपत्ति की सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे में आरपीएफ अधिकारी और जवानों को स्टेशन से लेकर ट्रैक तक लगाया गया है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर शहर के अम्मापड़ा की गली संख्या-9 में रहने वाला 40 वर्षीय युवक टाटानगर से रेल पटरी के किनारे-किनारे 300 किमी पैदल यात्रा कर गुरुवार की शाम को झारसुगुड़ा पहुंचा गया। टाटानगर से लेकर झारसुगुड़ा तक कई स्टेशन पड़ते हैं और किसी की युवक पर नजर नहीं पड़ी। यह जांच का विषय बनने के साथ विभाग में चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला मेरी नजर में नहीं आया है। रेलवे ट्रैक से नहीं उसके किनारे से होकर जाते है। आरपीएफ व जीआरपी लगातार पटरी के ऊपर से जाने वाले लोगों को पकड़ने का काम कर रहीं। उक्त मामले की जांच मैं खुद करुंगा। ओंकार सिंह, डीएससी, चक्रधरपुर