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लौह अयस्क की कमी के कारण महंगाई की मार झेल रहे सुंदरगढ़ जिले के उद्योग

लौह अयस्क की कृत्रिम कमी के कारण दर में हुई अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए सुंदरगढ़ जिले में निजी क्षेत्र के एमएसएमई श्रेणी के लौह और इस्पात उद्योगों ने राज्य और केंद्र सरकार से सुधारात्मक उपायों के साथ इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 06:24 PM (IST)
लौह अयस्क की कमी के कारण महंगाई की मार झेल रहे सुंदरगढ़ जिले के उद्योग
लौह अयस्क की कमी के कारण महंगाई की मार झेल रहे सुंदरगढ़ जिले के उद्योग

जागरण संवाददाता, राउरकेला : लौह अयस्क की कृत्रिम कमी के कारण दर में हुई अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए सुंदरगढ़ जिले में निजी क्षेत्र के एमएसएमई श्रेणी के लौह और इस्पात उद्योगों ने राज्य और केंद्र सरकार से सुधारात्मक उपायों के साथ इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग है। मार्च 2020 तक 21 खदानों की लीज अवधि की समाप्ति और नव-नीलामी की गई खदानों का संचालन न होने से लौह अयस्क की कमी होने की बात कही जा रही है। संयोग से, ओडिशा में सेल की दो खदानों ने अपने अधिशेष लौह अयस्क की 30 फीसद बिक्री शुरू कर दी है, लेकिन यह विशेष रूप से राज्य में उद्योगों के लिए नहीं है।

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ओडिशा स्पंज आयरन मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (ओसमा) सितंबर के पहले सप्ताह में, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का ध्यान लौह अयस्क की कृत्रिम कमी की ओर दिलाया था। हालांकि तब से अब तक स्थिति और जटिल हो गई है।

सुंदरगढ़ के 45 सहित ओडिशा में 85 स्पंज आयरन प्लांट के अलावा इंडस्ट्रियल फर्नेस यूनिट्स और री-रोलिग मिल्स जैसे डाउनस्ट्रीम उद्योगों लौह अयस्क की कमी से जूझ रहे है। दोषपूर्ण खनन नीति का हवाला देते हुए ओसमा ने बेकार पड़ी नई खदानों का पटटा रद करने और ओडिशा खनन निगम (ओएमसी) को इन खदानों को संचालित करने की अनुमति देने की मांग दोहराई है। स्थानीय उद्योगों के लिए 70 फीसद कैलिब्रेटेड लम्प अयस्क (सीएलओ) का आरक्षण तथा निर्यात पर रोक लगाने की मांग की है। स्पंज आयरन उद्योग के सूत्रों ने बताया कि पिछले दो महीने में प्रति टन लौह अयस्क की कीमत 5,200 रुपये से बढ़कर लगभग 6,000 रुपये हो गई है। इसके परिणामस्वरूप स्पंज आयरन की कीमत भी बढ़कर लगभग 22,000 रुपये प्रति टन हो गई है। ओएमसी ने उत्पादन बढ़ाया है लेकिन स्थानीय मांग बहुत बड़ी है। स्थानीय उद्योगपतियों का कहना है कि पिछले छह महीनों में लौह अयस्क की कीमतों में 60 फीसदी की उछाल देखी गई है और उद्योगों को बचाने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है।

सेल के रॉ-मैटेरियल्स डिवीजन के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीनों में देश के विभिन्न उद्योगों के लिए सुंदरगढ़ के बरसुआ तथा क्योंझर जिले के बोलानी खदान से लगभग 280 करोड़ रुपये का लौह अयस्क भेजा गया है। सूत्रों का कहना है कि सेल ने निकटवर्ती झारखंड की खदानों से 43 मिलियन टन लौह अयस्क बेचने का लक्ष्य रखा है। जिससे उम्मीद जताई कि लौह अयस्क की उपलब्धता में जल्द सुधार होगा।


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