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मादा हाथियों की लड़ाई में गयी बच्चे की जान

बीरमित्रपुर फोरेस्ट रेंज के अंतर्गत रानीबगीचा के रणाकटा बिट एरिया के पास घुमागेडु जंगल में स्थित तालाब के पास एक हाथी के बच्चे के शव पाया गया है। वन विभाग के अनुसार तालाब में चार मादा हाथियों के नहाने के बाद उनमें लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई के दौरान एक साल के हाथी के बच्चे के सिर व कान में चोट लगने की वजह से उसकी मौत होने की बात कही जा रही है। हाथी के बच्चे के मौत के बाद इन हाथियों ने सुबह करीब पांच बजे तक शव को घेरकर रखा था। अभी यह हाथी घटनास्थल से करीब 100 से 150 की फुट की दूरी पर जंगल में होने की सूचना है। वहीं मृत हाथी का शव पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 11:23 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 06:24 AM (IST)
मादा हाथियों की लड़ाई में गयी बच्चे की जान

संवाद सूत्र, बीरमित्रपुर: बीरमित्रपुर फाॉरेस्ट रेंज के अंतर्गत रानीबगीचा के रणाकटा बिट एरिया के पास घुमागेडु जंगल में स्थित तालाब के पास एक हाथी के बच्चे के शव पाया गया है। वन विभाग के अनुसार बुधवार देर रात तालाब में नहाने के बाद चार मादा हाथियों के बीच लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में एक साल के हाथी के बच्चे के सिर व कान में चोट लगने से उसकी मौत होने की बात कही जा रही है। हाथी के बच्चे के मौत के बाद इन हाथियों ने सुबह करीब पांच बजे तक शव को घेरकर रखा था। अभी यह हाथी घटनास्थल से करीब सौ से डेढ़ सौ फीट की दूरी पर जमा हैं। वहीं हाथी के बच्चे का शव पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया गया है।

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इस मामले में वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार की रात कोकेरामा पंचायत के बेमता पहाड़ी से उतरकर घेमागेडु जंगल में स्थित तालाब में चार मादा हाथी नहाने पहुंची थी। इनके साथ एक साल उम्र का बच्चा भी था। वन विभाग ने आशंका जतायी है कि नहाने के बाद मादा हाथियों में झगड़ा हो गया। जिसकी चपेट में एक साल का हाथी का बच्चा आ गया। उसके सिर व कान में चोट लग जाने से उसकी मौत हो गयी। इसकी सूचना मिलने से राउरकेला एसीएफ प्रताप कटपाली, बीरमित्रपुर फॉरेस्ट रेंज के रेंजर नूतन कुमार हेम्ब्रम, पूर्व रेंजर राजकिशोर दास, बीरमित्रपुर फॉरेस्टर मधुसूदन पटनायक, हाथीबाड़ी फॉरेस्टर विजय कलर, हाथीबाड़ी की फॉरेस्ट गार्ड जेमा सुमान लुगून वहां पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। घटनास्थल से कुछ दूरी पर स्थित जंगल में चारों मादा हाथियों के होने का पता चला। जिसके बाद हाथीबाड़ी से प्राणी चिकित्सक को बुलाकर हाथी के बच्चे का पोस्टमार्टम कराया गया और उसे वहीं पर ही दफना दिया गया।


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