प्रशासनिक कार्रवाई से ग्रामीण खफा, विकल्प मार्ग की मांग
जेएसडब्ल्यू शिवा सीमेंट चूना पत्थर खदान के संप्रसारण के लिए पतराटोली-खटकुलबहाल मार्ग को जिस तरह से अधिग्रहण किया गया और इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया उसे लेकर ग्रामीणों में अबतक गुस्सा व्याप्त है।
संसू, राजगांगपुर : जेएसडब्ल्यू शिवा सीमेंट चूना पत्थर खदान के संप्रसारण के लिए पतराटोली-खटकुलबहाल मार्ग को जिस तरह से अधिग्रहण किया गया और इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया उसे लेकर ग्रामीणों में अबतक गुस्सा व्याप्त है। ग्रामीण जिला प्रशासन के साथ-साथ सरपंच की भूमिका को लेकर भी खफा है। खासकर कारखाना प्रबंधन की इस मनमाने रवैये पर किसी भी राजनीतिक दल के द्वारा प्रशासन से सवाल-जवाब नहीं किया जाना की भी ग्रामीणों की नाराजगी का मुख्य कारण है।
ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच के परिवार के एक सदस्य को शिवा सीमेंट कारखाना में नियुक्त मिलने पर कंपनी के साथ मिलकर वर्षो पुराने मार्ग को खदान में शामिल कर दिया गया। खदान से सट कर पतराटोली खटकुलबहाल रास्ते वाली (खाता नंबर 406 किस्म ग्राम्य रास्ता, प्लाट नंबर 1398 कुल 1.36 एकड़) जमीन को कंपनी को देने के लिए सरपंच ने ग्रामीणों के साथ धोखा किया। 15 अगस्त 2017 में ग्रामसभा के दौरान इसका प्रस्ताव पारित करने की बात सामने आई है। इस प्रस्ताव को पारित कराने के दौरान सरपंच ने ग्रामसभा में उपस्थित ग्रामीणों को समझाया था कि खदान के संप्रसारण के समय पतराटोली खटकुलबहाल रास्ता रहने से कभी भी अनहोनी दुर्घटना या हादसा हो सकता है। इसलिए इस रास्ते को कंपनी को दे देने का जिक्र करते हुए ग्रामसभा में इसे पारित किया गया है। प्रस्ताव पारित होने के एक महीने बाद यानी 23 सितंबर 2017 को ग्रामीणों के द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के कारण सरपंच ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। ग्रामीणों का सवाल है कि जब सरपंच ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया था तो जिला प्रशासन ने कैसे कंपनी को चूना पत्थर खदान के लिए रास्ते को अधिग्रहण करने दिया। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को ग्रामीण एक तरफा बता रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब किसी पंचायत की जमीन या आने जाने के मार्ग को सरकारी उपयोग में लेना है तो ग्रामसभा के जरिये प्रस्ताव पारित होता है। ऐसे में प्रशासन को ग्रामीणों से भी मंतव्य लेना चाहिए। ग्रामीणों ने आशंका व्यक्त की है कि आगामी दिनों में खटकुलबहाल में स्थित सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर, तीन स्कूल, साप्ताहिक बाजार, तालाब और पंचायत कार्यालय को अधिग्रहण करने की कोशिश कंपनी करेगी। अगर ऐसा होता है तो ग्रामीणों एवं जिला प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण और जनसुनवाई होने पर जिला प्रशासन को ग्रामीणों के साथ सहानुभूति दिखाने के साथ व्यवहारिक रूप से बातचीत कर समस्या का समाधान करने की पहल करने की आवश्यकता है।