गरीबी भी नहीं रोक पाई बबलू के हौसले
कहते हैं कि दिल में लगन के साथ मेहनत का साथ हो तो तमाम मुश्किलों के
संवाद सूत्र, सुंदरगढ़:
कहते हैं कि दिल में लगन के साथ मेहनत का साथ हो तो तमाम मुश्किलों के बाद भी मंजिल मिल ही जाती है। ओडिशा के क्योंझर जिले के छोटे से गांव सिआलीजोड़ा के अनाथ बालक बबलू मुंडा ने अपनी मेहनत से इसे चरितार्थ कर दिखाया है। बचपन से गरीबी झेलने के बाद भी यह बबलू के हौसले को रोक नहीं पाई। इसी हौसले ने बबलू मुंडा को ब्राजील में हुई अंतरराष्ट्रीय वुशु प्रतियोगिता में किक बॉ¨क्सग प्रतियोगिता में रजत पदक दिलाया है। इसी के साथ बबलू ने देश का मान बढ़ाया है। ब्राजील से वापस लौटने पर गांव में उसका जोरदार स्वागत किया गया।
बबलू मुंडा ने ब्राजील में 9 से 16 जुलाई तक चली जूनियर किक बॉ¨क्सग प्रतियोगिता में पेरु के प्रतिभागी को क्वार्टर फाइनल में पटखनी देकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था। जिसमें उसने ईरान के प्रतिभागी को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल के रोमांचक मुकाबले में बबलू ने रजत पदक हासिल किया। बचपन में ही माता-पिता को खो देने वाले बबलू मुंडा को उसकी दादी ने किसी तरह से दिहाड़ी मजदूरी कर पाला। खेल के प्रति बबलू की रुचि को देखते हुए एशियन इंडोर गेम्स में मेडल जीतने वाले पंकज कुमार मोहंता उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया। इसके बाद बबलू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्य से लेकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कई पदक हासिल किए। वहीं ब्राजील में भी किक बॉ¨क्सग जीतकर बबलू ने अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाकर साबित किया है कि मेहनत व लगन से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।