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गरीबों की मदद को बढ़ाया हाथ, पहुंचाया महीने भर का राशन

लॉक डाउन में गरीब मजूदर दिहाड़ी कामगार ठेलावाले दुकानों में काम करनेवालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 02:18 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 06:15 AM (IST)
गरीबों की मदद को बढ़ाया हाथ, पहुंचाया महीने भर का राशन
गरीबों की मदद को बढ़ाया हाथ, पहुंचाया महीने भर का राशन

संसू, सुंदरगढ़ : लॉक डाउन में गरीब, मजूदर, दिहाड़ी कामगार, ठेलावाले, दुकानों में काम करनेवालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऐसे एक शख्स सदर मस्जिद से मगरिब (सूर्यास्त) की नमाज पढ़कर बाहर निकलता है। पास की राशन दुकान से एक महीने का राशन, जिसमें चावल, आटा, दाल, तेल, शक्कर, चाय पत्ती, आलू, प्या•ा, नहाने व धोने का साबुन आदि पैकेट में बंधवाता है और फिर अपने कमचारियों के जरिये पड़ोस के कुछ गरीब परिवारों को भिजवा देता है। इस संदेश के साथ,कि भोजन की तलाश में घर से बाहर मत निकलना।

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दरअसल, 25 मार्च की शाम उक्त परिवार सबसे मदद मांग कर निराश हो गया था। पत्नी और दो बच्चों का उसका छोटा परिवार है। लॉक डाउन के चलते उनका सिलाई का काम बंद हो गया था। 21 दिनों की इस बंदी में उसके परिवार का भूखों रहना पड़ेगा, यह सोचकर दंपती की आंखों में नींद नहीं थी। ऐसे में इस नेक शख्स ने आगे आकर उनके घर एक महीने का राशन भेजकर मानवता की मिसाल पेश की। मोहल्ले के और कई परिवारों को भी राशन भिजवाया।

पत्रापड़ा निवासी जोगेश साहू और उसकी पत्नी एक दुकान में काम करते थे। लॉक डाउन के चलते दुकान बंद हुई, तो मालिक उन्हें पारिश्रमिक कहां से देता? उनके पास जो पैसे थे, वह एकाध हफ्ते ही चलते। इसके बाद वे क्या खाएंगे, पति पत्नी इसी चिता में थे। इसी बीच शुक्रवार की शाम, जब उनके घर में चावल के सिवा कुछ नहीं बचा था तभी उक्त मददगार ने राशन की पोटली उनके घर भिजवा दी। जोगेश ने बताया उस मददगार ने हमें इतना राशन दिया है, जिससे हमारा परिवार एक महीने आराम से खा सकता है। भगवान उन्हें लंबी आयु दे। इधर, मीडिया के लोग जब उस नेक इंसान के घर पहुंचे तो देखा, राशन के थैले बंधे पड़े हुए हैं, जो वह जरूरतमंदों को भिजवा रहे हैं। उनके एक कर्मचारी ने बताया कि अब तक सुंदरगढ़ शहर में 50 से अधिक लोगों को राशन दिया गया है, जबकि बडगांव, राजगांगपुर, राउरकेला समेत जिले भर में 2 सौ से अधिक लोगों की इसी प्रकार मदद की गई है।

पहचान उजागर न करने की शर्त पर मददगार ने कहा कि भूख इंतजार नहीं कर सकती। इसलिए मैंने फैसला किया कि मुझसे जितना हो सकेगा, मैं जरूरतमंदों की मदद करुंगा। मैं कोई आíथक सहायता नहीं दे सकता। पर इतनी मेरी कोशिश होगी कि इस संकट के समय में कोई भूख से न मरे। न ही खाने की तलाश में बाहर निकल कर संक्रमण का शिकार हो जाए। कहा कि यह संकट सारे देशवासियों पर है, इसलिए हमें मिलकर इसका मुकाबला करना होगा, एक दूसरे का साथ देना होगा, तभी हम यह जंग जीत सकते हैं। तस्वीर न छपवाने के सवाल पर मददगार ने कहा, इससे उन लोगो को बुरा लग सकता है, जिनकी मैंने मदद की है। मैंने अखबारों में नाम या फोटो छपवाने को यह नहीं किया, इन्सानियत के नाते किया है। सिर्फ मैं ही क्यों, देश में बहुत सारे लोग, कई संस्थाएं सेवा कर रही हैं। उनके बारे में छापें, तो और भी लोगों को प्रेरणा मिलेगी मदद का हाथ बढ़ने की।


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