जलवायु परिवर्तन के संकट से बचाएगी ओडिशा की बेटी
आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के रांची रोड से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहाबंध गांव निवासी अर्चना सोरेंग ने जिले के साथ-साथ पूरे देश का मान बढ़ाया है।
संसू, राजगांगपुर : आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले के रांची रोड से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहाबंध गांव निवासी अर्चना सोरेंग ने जिले के साथ-साथ पूरे देश का मान बढ़ाया है। अर्चना सोरेंग दुनिया को जलवायु परिवर्तन के संकट से बचाने के लिए अपना योगदान देंगी। उन्हें संयुक्त राष्ट्र के सलाहकार समूह का सदस्य नामित किया गया है।
वर्ष 2001 से 2011 तक अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जॉन मेरी वियानी स्कूल कुतरा से करने वाली अर्चना ने राउरकेला हमीरपुर स्थित कारमेल कान्वेंट स्कूल से इंटर किया। पटना वूमेंस कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। मुंबई में टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सैसेज (टिस) से रेगुलेटरी गवर्नेस में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल सैसेज (टिस) के छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष भी रही। सुंदरगढ़ जिले के बालिपोष गांव की मूल निवासी अर्चना खड़िया जनजाति समुदाय से है। फिलहाल अर्चना सोरेंग रिसर्च अफसर के रूप में वसुंधरा में कार्यरत है। अर्चना के पिता दिवंगत बिजय कुमार सोरेंग कुतरा स्थित गांगपुर कॉलेज ऑफ सोशल वर्क के प्राचार्य थे। कैंसर से पीड़ित होने के कारण 2017 में उनका निधन हो गया। मां ऊषा केरकेटटा सेंट जॉन मेरी वियानी स्कूल में लाइब्रेरियन व स्पोर्ट्स टीचर है। अर्चना के बड़े भाई यूजीन सोरेंग टाटा इंस्टीटयू ऑफ सोशल सैसेज (टिस) से एमफिल कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि संयूक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को 18 से 28 वर्ष आयु के भीतर 7 सदस्यों के नाम की घोषणा की गई थी। इनमें से अर्चना सोरेंग भी एक है। उक्त 7 सदस्यीय टीम आगामी दिनों में विश्व को जलवायु संकट से निपटने के लिए समाधान एवं दृष्टिकोण और जलवायु के प्रभाव के बारे में एंतोनियो गुतारेस को अवगत कराएंगी। उक्त सात सदस्यीय सलाहकार समूह भारत सहित सूडान, ़िफजी, मोल्दोवा, संयुक्त राज्य, फ्रांस एवं ब्राजील का है। एंतोनियो गुतारेस ने वीडियो कांफ्रेसिग में सभी सदस्यों से कहा की सारा विश्व अभी संकटजनक परिस्थिति से गुजर रहा है। जलवायु परिवर्तन एक जरूरीकालीन स्थिति में पहुंच गया है। अगर जलवायु परिवर्तन के बारे में अतिशीघ्र कोई कदम नही उठाया गया तो भविष्य में
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अर्चना सोरेंग का कहना है कि हमारे पूर्वज अपने पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं से युगों से जंगल व प्रकृति को बचा रहे है। अब हमारी बारी है की हम जलवायु संकट से निपटने में अग्रिम मोर्चे पर काम करे। सुंदरगढ़ जिला आदिवासी बहुल अंचल होने के कारण भविष्य में अर्चना का लक्ष्य आदिवासियों के लिए होने वाले नीतिगत फैसलों में उनकी सहभागिता बढ़ाने की है। आदिवासियों के लिए क्या अच्छा हो सकता है इसका निर्णय आदिवासी ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते है। हालांकि अधिक से अधिक आदिवासियों को इस प्रक्रिया में शामिल करने की जरूरत है। अर्चना को आदिवासी नृत्य, संगीत व भोजन में खासी रुचि है।