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12 गांवों की सूरत बदलने वाले सरपंच को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

आर्ट ऑफ लिविंग की मदद से सरपंच ने किया कमाल इस पंचायत को करीब डेढ़ वर्ष पूर्व आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत निर्माण कार्यक्रम के तहत गोद लिया।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 10:16 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 10:16 AM (IST)
12 गांवों की सूरत बदलने वाले सरपंच को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
12 गांवों की सूरत बदलने वाले सरपंच को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

 संबलपुर, ज्योति कुमार लाट। स्वरोजगार के साथ अध्यात्म व योग के सहारे शराब की कैद से आजाद होने वाली ओडिशा की लरियापाली पंचायत अब जश्न मना रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों दिल्ली में श्रेष्ठ पंचायत का सम्मान पाने के बाद यह चहुंओर चर्चा में है। ओडिशा के संबलपुर जिले की इस पंचायत के एक दर्जन गांवों में कभी घर-घर ग्रामीण शराब बनाते थे, अब दोना-पत्तल और झाडू बनाकर बेच रहे हैं। पंचायत को इस मुकाम तक ले जानेवाले नायक हैं- सरपंच शुक्रू कुजूर।

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श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की स्थानीय यूनिट की मदद से यह बदलाव लाने वाले शुक्रू

कुजूर बताते हैं कि आदिवासी बहुल इस पंचायत की आबादी 4793 है। साक्षरता बेहद कम होने तथा जागरूकता के अभाव में मनरेगा समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिलता था। सो, यहां के ग्रामीणों ने शराब के अवैध कारोबार को ही आजीविका का साधन बना लिया। नशा मुक्त होने से पूर्व इस पंचायत में हर घर में कच्ची शराब बनती थी। यहां रोजाना करीब 230 लीटर शराब की बिक्री होती थी। गांव के लोग खुद इस शराब को पीते व बेचते थे। धीरे-धीरे गांव नशे की गिरफ्त में आ गए। घरों में पारिवारिक अशांति व सामाजिक अशांति के साथ- साथ ग्रामीणों की कम  आयु में मृत्यु होने लगी। 

आर्ट ऑफ लिविंग की मदद से सरपंच ने किया कमाल

 इस पंचायत को करीब डेढ़ वर्ष पूर्व आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत निर्माण कार्यक्रम के तहत गोद लिया। संयोजक लोकनाथ जेना की देखरेख में यहां के आदिवासियों को योग, प्राणायाम के साथ उत्तम जीवन शैली अपनाने का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता जयंती नायक और लोक मुक्ति संगठन की ओर से गांवों में लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। पंचायत चुनाव के बाद सरपंच शुक्रू कुजूर की देखरेख में अभियान और तेज हुआ। उनकी पहल पर शराबबंदी के लिए पंचायत ने बकायदा प्रस्ताव पारित किया।

शराब बनाने वालों को रोजगार से जोड़ा गया पंचायत में जो लोग शराब बेचकर अपना गुजारा करते थे, उन्हें दूसरा रोजगार करने के लिए प्रेरित किया गया। अब पंचायत में शराब बेचनेवाले दोना-पत्तल व झाड़ू बना कर

बेचते हैं। कई लोग पॉल्ट्री फार्म खोल कर भरण-पोषण कर रहे हैं।

बहुत खुश हूं कि मेरी पंचायत देश में श्रेष्ठ घोषित हुई। राष्ट्रपति के हाथों मुझे सम्मान मिला। अब इसे देश की आदर्श पंचायत बनाने का लक्ष्य है।

- शुक्रू कुजूर, सरपंच


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