बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग रथ में विराजे महाप्रभु Sambalpur News
संबलपुर के 27 जगन्नाथ मंदिरों में से 25 मंदिरों से श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी। तीनों देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद ब्रह्मपुरा मंदिर का रथ सबसे आगे चला।
संबलपुर, जेएनएन। जगत के नाथ महाप्रभु गुरुवार को जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ रथ में सवार होकर मौसी मां से मिलने गुंडिचा मंदिर के लिए निकले। भगवान की इस रथयात्रा के दौरान हजारों की संख्या में भक्त जुटे और रथ को खींचकर गुंडिचा मंदिर तक ले गए। संबलपुर के 27 जगन्नाथ मंदिरों में से 25 मंदिरों से श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी। सुबह झारुआपाड़ा के ब्रहमपुरा मंदिर में सबसे पहले श्रीजगन्नाथ की पूजा अर्चना करने समेत अपराह्न के समय विधि विधान के साथ श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को रथारूढ कराया गया। तीनों देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद ब्रह्मपुरा मंदिर का रथ सबसे आगे चला।
इस अवसर पर प्रचलित परंपरा के अनुसार छोटे बच्चों को रथ का दर्शन करने समेत रस्सी को हाथ लगाया गया। पिछले चार दिनों से संबलपुर में रुक रुककर हो रही बारिश के बावजूद रथयात्रा निकाली गयी और लोगों ने श्रद्धापूर्वक इसमें शामिल हुए। झाडुआपाड़ा के ब्रह्मपुरा मंदिर के अलावा कुंजेलपाड़ा, नंदपाड़ा, हाटपाड़ा, दलाईपाड़ा, पटनायकपाड़ा, महांतीपाड़ा, गोलबाजार, गोविंदटोला, साक्षीपाड़ा, धनकौड़ा, खेतराजपुर, मोदीपाड़ा, फाटक समेत अन्य कई मंदिरों से रथ निकाले गए। इनके अलावा बच्चों द्वारा दर्जनों छोटे छोटे रथ भी निकाले गए। शहर के विभिन्न मोहल्लों से होकर सभी रथ नगरपालिका चौक के निकट अस्थायी रूप से बने गुंडिचा मंदिर पहुंचे। पहले यह सभी रथ बिनाखंडी स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाते थे। लेकिन निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से अब वहां तक जाना संभव नहीं होने से नई व्यवस्था की गई है।
झारसुगुड़ा में महाप्रभु के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
श्रीजगन्नाथ जी की रथयात्रा गुरुवार को धूमधाम के साथ शुरू हुई। रथ पर सवार होकर जगत के नाथ श्री जगन्नाथ अपने बडे भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी घर की यात्रा में निकले। झंडा चौक स्थिति हनुमान मंदिर में भगवन जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की पूजा-अर्चना के बाद डोला में बैठाकर भक्तों ने तीनों विग्रहों को रथारूढ कराया। रथ पर भगवन के विराजने के बाद भक्तों ने उनका दर्शन-पूजन किया। शहर में आधा दर्जन से अधिक जगहों से रथयात्रा निकाली गई। मुख्य रुप से झंडा चौक, मारवाड़ीपाड़ा,जगन्नाथ मठ, पुरानी बस्ती तालपटिया व बीटीएम से रथयात्रा निकली। पुरी के बाद शहर के उपखंड स्थित कुकुरजंघा से भी रथयात्रा उत्सव प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां 400 सौ से अधिक वर्षो से रथयात्रा निकाली जाती है। इसमें ओडिशा के अलावा झारखंड, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश से हजारो की संख्या में भक्त शामिल होकर भगवान का दर्शन-पूजन करते हैं।