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जयश्री मिश्र हत्या के मामले में आरोपपत्र दाखिल

बहुचर्चित जयश्री मिश्र हत्याकांड का पर्दाफाश करने वाली टाउन पुलिस ने महीनों की जांच पड़ताल के बाद आखिर गिरफ्तार आरोपित बसंत पंडा के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:56 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:20 AM (IST)
जयश्री मिश्र हत्या के मामले में आरोपपत्र दाखिल
जयश्री मिश्र हत्या के मामले में आरोपपत्र दाखिल

संवाद सूत्र, संबलपुर : बहुचर्चित जयश्री मिश्र हत्याकांड का पर्दाफाश करने वाली टाउन पुलिस ने महीनों की जांच पड़ताल के बाद आरोपित बसंत पंडा के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। इस आरोपपत्र में करीब 30 गवाहों का बयान, पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूत और फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट शामिल है।

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स्थानीय नंदपाड़ा निवासी दिवंगत मुरारी प्रसाद मिश्र की विधवा जयश्री मिश्र अपनी बड़ी बेटी के विवाह का कार्ड बांटने के लिए 13 अक्टूबर 2011 को बस से गौशाला गयी थी। गोशाला चौक में उसकी मुलाकात अपने रिश्ते के जीजा बसंत पंडा के साथ हो गई। बसंत ने उसे अपनी बाइक में बिठा लिया और अपने गांव बडसिघारी की ओर ले गया था। इसके बाद से जयश्री लापता थी। उसकी बेटी विजयिनी मिश्र ने 14 अक्टूबर 2011 को टाउन थाना में अपनी मां के लापता हो जाने की शिकायत दर्ज करायी थी लेकिन तत्कालीन थानेदार ने रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया। जयश्री के अचानक लापता हो जाने को लेकर तरह तरह की चर्चा होने लगी थी। ऐसे में अपनी मां का पता लगाने और उसे न्याय दिलाने की खातिर बेटी विजयिनी एक बार फिर सामने आयी। उसने 21 जुलाई 2019 को टाउन थाना में एक बार फिर अपनी मां जयश्री के अपहरण और हत्या का आरोप लगते हुए शिकायत दर्ज करायी। इस शिकायत में उसने बसंत पंडा पर संदेह जताया था। इसके बाद पुलिस ने आठ वर्ष पूर्व घटित इस घटना की जांच शुरू करते हुए आरोपित बसंत को गिरफ्तार करने समेत उसके गांव के पास दफनाए गये जयश्री के शरीर के अवशेष को जब्त किया था। यह अवशेष जांच के लिए हैदराबाद फॉरेंसिक लैब भेजा गया। उसकी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। लेकिन आरोपित बसंत से पूछताछ, गवाहों के बयान और पुलिस द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर मंगलवार को पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। अपनी मां के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही बेटी विजयिनी ने बताया कि उसकी पहली शिकायत को अगर पुलिस गंभीरता से लेती तो इतने वर्ष का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता। आरोपित को उसकी करनी की सजा मिल चुकी होती।


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