कृषि अध्ययन को कर्नाटक जाएंगे डॉ. मधुसूदन बेहरा
भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा संचालित सीसल अनुसंधान केंद्र का शोध सलाहकार समिति ने बुधवार को निरीक्षण कया।
संवाद सूत्र, बामड़ा: भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा संचालित सीसल अनुसंधान केंद्र, बामड़ा के अनुसंधान कार्यो का शोध सलाहकार समिति ने बुधवार को निरीक्षण किया। समिति के चेयरमैन तथा भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ. शरन गौड़ा पाटिल की अध्यक्षता में केंद्र पहुंची टीम में प्रिंसिपल साइंटिस्ट प्रोफेसर तापस दास गुप्ता, प्रोफेसर संतोष कुमार पंडा, डॉ. शुभोजीत दत्त, केंद्रीय पटसन एवं समवर्गीय रेशा अनुसंधान संस्था, बैरकपुर के निदेशक डॉ. जीवन मित्रा, डॉ सुब्रत सतपथी, डॉ. अशेष कुमार घोराय, डॉ सब्यसाची मित्रा, डॉ. चंदन सौरभ कर, डॉ सुरजा सरकार, डॉ. सुनीति कुमार झा, डॉ मधुसूदन बेहरा शामिल थे। इस टीम ने केंद्र में चल रहे अनुसंधान कार्यों का निरीक्षण करने समेत सीसल की खेती करने वाले किसानों से भी रूबरू होकर उनकी समस्याओं को सुना। साथ ही आसपास के गांवो में जाकर सीसल किसानों की खेती का अवलोकन किया। इस दौरान टीम ने डॉ. मधुसूदन बेहरा और केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. अजीत कुमार झा और उनकी टीम के शोध कार्यों, खासकर सीसल की इंटर क्रॉपिग पर किए जा रहे अनुसंधान के लिए उनकी सराहना की। समिति ने केंद्र के इंटर क्रॉपिग प्रणाली से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के लक्ष्य में सहायक होने की बात कही। साथ ही डॉ. मधुसूदन बेहरा के कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें विशेष ट्रेनिग लेने कर्नाटक के धारवाड़ के प्रगतिशील किसानों द्वारा संचालित समन्वित कृषि प्रणाली का अध्ययन करने समेत कृषि विश्वविद्यालय धारवाड़ और भारतीय उद्यान अनुसंधान संस्था, बेंगलुरु में उद्यान तकनीक पर विशेष प्रशिक्षण पर भेजने की अनुशंसा की। इस दौरान सीसल किसानों ने समिति सदस्यों को बताया कि वर्तमान में केंद्र के चार वैज्ञानिक पदों को घटाकर तीन कर दिया गया है। पांच तकनीशियन के स्थान पर दो की नियुक्ति है और चार प्रक्षेत्र सहायक की जगह महज दो लोग काम कर रहे है। समिति ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी पदों की पूर्ति समेत और नियुक्ति की भी अनुशंसा की। अंचल के प्रगतिशील सीसल किसान कन्हैयालाल सेठ ने भी समिति को सुझाव दिए।