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आफत की बारिश से उबर रहा संबलपुर, शहर का 40 फीसद अंचल हो गया था जलमग्न

मानेश्वर, धनकौड़ा और रेंगाली ब्लॉक में 300 मिमी से 550 मिमी तक बारिश दर्ज की गई।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 12:58 PM (IST)
आफत की बारिश से उबर रहा संबलपुर, शहर का 40 फीसद अंचल हो गया था जलमग्न

संबलपुर, जेएनएन। शनिवार और रविवार को आफत की बारिश से सराबोर संबलपुर अब उबरने लगा है। सोमवार की दोपहर तक के मौसम को देखते हुए माना जा रहा है कि अब मूसलाधार बारिश की संभावना कम ही है। बावजूद इसके जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार कर लिया है। जिलाधीश समर्थ वर्मा ने बताया कि लोगों को आतंकित होने के बजाय संयम रखने और प्रशासन पर भरोसा रखने की जरूरत है।

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उल्लेखनीय है कि शनिवार को अपराह्न से शुरू हुई इस आफत की बारिश से जिला के कुल 9 ब्लॉक में से पांच

ब्लॉक बुरी तरह प्रभावित हुए। मानेश्वर, धनकौड़ा और रेंगाली ब्लॉक में 300 मिमी से 550 मिमी तक बारिश दर्ज की गई। आपातकालीन अधिकारी संजीव पुजारी के अनुसार, जुलाई में संबलपुर जिला में औसत 429.5 मिमी बारिश होती है, लेकिन शनिवार और रविवार को हुई मूसलाधार बारिश से मात्रा 439.99

मिमी हो गई।

 

उपनगर बुर्ला में 622 मिमी बारिश दर्ज की गई जो पहले कभी नहीं हुई। हीराकुद बांध की तलहटी पर बसे

उपनगर बुर्ला और हीराकुद के अलावा संबलपुर शहर और इसके आसपास के कई गांव-कस्बों में बारिश आफत बनकर बरसी। माझीपाली, देबेईपाली, बिसिपाली गांव की सड़कों पर 8.10 फीट पानी बहने

लगा। इसी तरह, धनकौड़ा ब्लॉक अंतर्गत भोईटिकिरा गांव में पानी घुस जाने से 200 परिवार प्रभावित हुए। गांव की तपस्विनी नाग अपनी मां को बचाते हुए पानी में बह गई जिसका शव रविवार को बरामद हुआ।

इसके अलावा जिले के दर्जनों गांवकस्बों के साथ शहर को भी इस आफत का सामना करना पड़ा। नाली-नालों का पानी निष्कासित नहीं हो सका और गली मोहल्लों में घुस गया। चेरुयापाड़ा स्थित रेलवे अंडरब्रिज, अइंठापाली, बरेईपाली, रेमेड़, खेतराजपुर, बड़ा बाजार, कमलीबाजार, मोदीपाड़ा, साक्षीपाड़ा, धनुपाली, र्गोंवदटोला, कुंभारपाड़ा, ठेलकोपाड़ा, तअंलापाड़ा, गोपालमाल के कई इलाके जलमग्न हो गए। रविवार को

हल्की बारिश की वजह से स्थिति नियंत्रित रही और विभिन्न इलाकों में जमे पानी को मोटरपंप से निकाला गया।

वहीं, मुंबई-कोलकाता राजमार्ग पर स्थित लक्ष्मीडुंगुरी पहाड़ के ऊपर से मिट्टी धसकने की वजह से राजमार्ग पर कुछ देर तक यातायात बाधित हुआ। बारिश की इस आफत के दौरान ओड्राफ, अग्निशमन,

पुलिस विभाग के कर्मचारियों के साथ स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर जलमग्न घरों और इलाकों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। वर्तमान, बारिश प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी रूप से बनाए गए राहत केंद्रों में 4000 से अधिक लोग पनाह लिए हुए हैं। 

जिले में शनिवार और रविवार को हुई आफत की बारिश का असर पनबिजली उत्पादन और विद्युत सेवा पर भी पड़ा है। शहर और आसपास के इलाकों में शनिवार की शाम से बिजली की आंखमिचौली जारी है। रविवार की सुबह उपनगर बुर्ला में 622 मिमी तक बारिश हुई थी। यह बारिश का पानी पावर चैनल होते हुए

चिपलिमा स्थित पावर हाउस तक पहुंच गया जिससे पनबिजली उत्पादन ठप हो गया। इस वजह से चिपलिमा पावर हाउस की मरम्मत के लिए हीराकुद बांध से पावर चैनल में छोड़े जानेवाले पानी को

बंद करना पड़ा। इससे बुर्ला पावर हाउस में भी पनबिजली उत्पादन प्रभावित हो गया है।

वहीं बारिश का पानी जमा हो जाने से कुंभारपाड़ा, पुटीबंध, तुंबसिंहा इलाके के कुछ ट्रांसफार्मर पानी में डूब जाने और पोल के ढह जाने से शहर और आसपास के कुछ इलाकों में अब तक विद्युत सेवा प्रभावित है। विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता एसके दर्जी और निर्वाही अभियंता धनंजय रणा के अनुसार, अचल

हो गए ट्रांसफार्मरों को बदला जाएगा और ढहे विद्युत पोल को फिर से खड़ा करने में कुछ दिन का समय लग सकता है। आफत की बारिश से बचने के लिए राहत शिविरों में शनिवार से पनाह लिए हजारों लोगों में से अधिकांश लोग बारिश थमने के बाद सोमवार को अपने घर लौट गए हैं। हालांकि सैकड़ों परिवार अब भी राहत केंद्रों में शरण लिए हुए हैं।

 

आपातकालीन अधिकारी संजीव पुजारी के अनुसार, मौसम विभाग द्वारा भारी बारिश को लेकर अलर्ट के बाद शहर के विभिन्न स्थानों में 34 राहत केंद्र बनाए गए थे। शनिवार से शुरू हुई बारिश से कई इलाकों में पानी घुसने से वहां के लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद 24 राहत केंद्रों में भेज दिया गया था।

रविवार को और चार राहत केंद्रों को शुरू किया गया। विभिन्न राहत केंद्रों में पनाह लिए लोगों के लिए भोजन, दवा आदि की व्यवस्था की गई। रेडक्रास की ओर से भी कई लोगों को वस्त्र आदि प्रदान किया गया। सोमवार को मौसम साफ होने के बाद सैकड़ों परिवार केंद्र से वापस अपने घर लौट गए है। शताधिक परिवार अब भी विभिन्न केंद्रों में है। उनके लिए नाश्ता और दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई थी। सोमवार की रात से उन्हें भोजन  नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है लेकिन हालात सुधरने तक लोग इन केंद्रों

में रह सकेंगे।  


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