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आस्था के महापर्व छठ पर लगा कोरोना का ग्रहण, ओडिशा सरकार ने लगायी पाबंदी

महापर्व छठ (Chhath Mahaparva) पर कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए ओडिशा सरकार ने पाबंदी लगा दी है। इस दौरान सरकार ने लोगों से घरों में रहकर पर्व मनाने के अपील की है साथ ही कई निर्देश भी जारी किए हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 08:37 AM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 10:11 AM (IST)
आस्था के महापर्व छठ पर लगा कोरोना का ग्रहण, ओडिशा सरकार ने लगायी पाबंदी
महापर्व छठ पर ओडिशा सरकार ने लगायी पाबंदी

संबलपुर, जागरण संवाददाता। आस्था के महापर्व छठ (Chhath) पर कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर ग्रहण लग गया है। ओडिशा सरकार (Odisha Government) की ओर से इसे लेकर पाबंदी लगायी गयी है। यह पाबंदी 20 और 21 नवंबर के लिए लगाने समेत श्रद्धालुओं से घरों में रहकर मास्क पहनकर और शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए छठ पूजा मनाए जाने का निर्देश दिया गया है। इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट-2005 के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। 

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 ओडिशा के स्पेशल रिलीफ कमिश्नर असित त्रिपाठी की ओर से समस्त जिलाधीशों को इस बारे में पत्र भेजा गया है। इस पत्र में बताया गया है कि ओडिशा में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सरकार की ओर से 20 और 21 नवंबर के दिन छठ पूजा के आयोजन पर पाबंदी लगाई गयी है। इस पाबंदी के तहत छठ पूजा करने वाले किसी नदी घाट पर पूजा- अर्चना नहीं कर सकेंगे और ना ही सामूहिक स्नान कर सकेंगे।

 कमिश्नर त्रिपाठी ने छठ पूजा करने वालों से अपने घरों में रहकर पूजा आदि करने और इस दौरान कोविड दिशानिर्देशों का पालन करने अपील की है। कमिश्नर के कार्यालय की ओर से संबलपुर जिलाधीश कार्यालय में इस पत्र के पहुंचने के बाद प्रशासन की ओर से इसे लागू करने की तैयारी शुरु कर दी गई है। 

बता दें कि दीपावली के छह दिन के बाद सूर्य उपासना का महापर्व छठ मनाया जाता है। बड़े भक्तिभाव से लोग घाटों पर एकत्रित होते हैं और सूर्य देवता की उपासना कर उन्‍हें जल चढ़ाते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस साल लोगों से इस पर्व को घर में रहकर ही मनाने की अपील की गई है। घर में ही पानी के टब में खड़ी हो व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी और दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दे 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद इसका समापन करेंगी। यह  पर्व 20 और 21 नवंबर को मनाया जाएगा, लेकिन नहायखाय से इसकी शुरुआत 18 नवंबर से हो जाएगी। 


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