थर्माकोल बॉक्स में छह माह की बच्ची को लेकर साइकिल से रवाना हुए मजदूर
कोरोना काल में लोग जो दुख-कष्ट भोग रहे हैं ऐसा शायद देश विभाजन के दौरान भी नहीं देखा गया था।
संवाद सूत्र, संबलपुर : कोरोना काल में लोग जो दुख-कष्ट भोग रहे हैं, ऐसा शायद देश विभाजन के दौरान भी नहीं देखा गया था। कामकाज की तलाश में अपने गांव-शहर से सैकड़ों किमी दूर आए प्रवासियों को अब मुश्किलों के साथ घर वापस लौटना पड़ रहा है। सरकार की ओर से प्रवासियों के लिए की गई सुविधा का लाभ किसी को मिल रहा है तो किसी को नहीं। ऐसे में लॉकडाउन की वजह से विभिन्न स्थानों में फंसे प्रवासी अपने बलबूते अपने गांव-शहर लौटने निकल पड़े हैं।
संबलपुर जिला के चारमाल इलाके में रहकर मिस्त्री का काम करने वाले पश्चिम बंगाल के कूचविहार के कुछ लोग भी इनदिनों साइकिल से रास्ता नाप रहे हैं। बुधवार को यह सभी देवगढ़ जिला पार कर आगे जा चुके हैं। मंगलवार को यह काफिला संबलपुर जिला के लईडा में था। बताया गया है कि आठ पुरुष और एक महिला के इस काफिले में दो वर्ष का एक बच्चा और छह महीने की एक बच्ची भी है। इन दोनों मासूम बच्चों को साइकिल के पीछे थर्माकोल के बॉक्स में डालकर माता-पिता कूचविहार की ओर बढ़ रहे हैं। इस काफिले में शामिल हफीजुल काíतक, मसूद, रतन, कबरुद्दीन, अशरफुल हक, जियारुल, रजाक और एकमात्र महिला अलमिना बेगम के अनुसार, लॉकडाउन की वजह से काम धंधा बंद हो जाने से उन्हें काफी परेशानी हो रही थी। शासन-प्रशासन की ओर से भी उन्हें किसी तरह की सहायता नहीं मिली। ऐसे में अपने गांव लौटना ही उन्हें बेहतर लगा और सभी साइकिल से कूचबिहार की ओर निकल पड़े हैं। अलमिना की मानें तो उसके दोनों बच्चे छोटे हैं। उनका विशेष ख्याल रखना पड़ता है। चिलचिलाती धूप से भी बच्चे परेशान होते हैं, लेकिन मजबूरी ऐसी है कि नहीं चाहकर भी उन्हें थर्माकोल के बॉक्स में रखकर आगे बढ़ना पड़ रहा है।