समाजसेवी देवांश ने जन्मदिन पर लिया नेत्र दान का संकल्प
नगर के युवा व्यवसायी सह समाजसेवी देवांश अग्रवाल ने अपने 25 वर्ष पूरे होने पर अपने नेत्रों को मृत्यु उपरांत दान करने का संकल्प लिया है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : नगर के युवा व्यवसायी सह समाजसेवी देवांश अग्रवाल ने अपने 25 वर्ष पूरे होने पर अपने नेत्रों को मृत्यु उपरांत दान करने का संकल्प लिया है। देवांश 16 वर्ष की उम्र से सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए है और वर्तमान में कई सामाजिक संगठनों में अहम भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही अपने पिता समाजसेवी गणेश अग्रवाल के नेतृत्व में पारिवारिक व्यापार भी संभालते हैं। देवांश का कहना है नेत्र दान के संकल्प का महत्व तभी है जब आप अपने पूरे परिवार को दृढ़ता से विश्वास दिला दें की आपके मर जाने के पश्चात वे नेत्र दान विशेषज्ञ को बुलाकर आगे की प्रक्रिया करेंगे। अत: उन्होंने भी नेत्रदान की ओर अपने कदम अपने परिवार को विश्वास में लेने के बाद बढ़ाया है। उनका कहना है परिवार की पूर्ण सहमति ही नहीं बल्कि माता-पिता गणेश अग्रवाल एवं नैना अग्रवाल ने प्रोत्साहित करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए आशीर्वाद दिया। परिवार को विश्वास दिलाकर संकल्प लेना ही एक प्रभावी संकल्प है नहीं तो संकल्प व्यर्थ है। देवांश ने अपील की है उनके नेत्र किसी के काम आए गुलजार बनकर, क्या फायदा उनको चिता में राख कर। सवारी को लेकर स्टेशन परिसर में भिड़े आटो चालक : राउरकेला स्टेशन में ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों को आटो में बैठाने को लेकर अलग-अलग स्टैंड के चालकों के बीच भिड़ंत हो गई। इस दौरान बड़ी संख्या में दोनों तरफ के आटो चालकों का जमघट लगने के साथ एक-दूसरे स्टैंड के आटो चालकों पर सवारी बैठाने को लेकर जमकर बकझक हुई। स्टेशन के चालकों का कहना था कि ट्रेन से यात्री उतर कर बाहर आने के बाद पार्किंग के आटो चालक उन्हें गंतव्य तक ले जाएंगे। इन यात्रियों के सहारे ही उनके परिवार का गुजारा होता है। लेकिन गैर स्टैंड के आटो चालक रेलवे पार्किंग के पास आकर रेल यात्रियों को अपने आटो में ले जाने से उनका नुकसान होता है। इस संबंध में कई दफा बाहरी आटो चालकों को समझाने के बाद भी वे मनमानी करते हैं। इससे गुस्साए स्टेशन के आटो चालकों ने गुट बना कर बाहरी आटो वालों को स्टेशन में नही आने को कहा। इस पर दोनों गुट आपस में उलझ गए जिससे करीब आधा घंटे तक स्टेशन परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया। हालांकि बाद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ की बाहरी आटो चालक स्टेशन परिसर में नही घुसेंगे और स्टेशन परिसर से बाहर निकलने के बाद ही वे सवारी ले जा सकते है। इसके बाद दोनों गुट शांत हुए।