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दिहाड़ी मजदूर हैं साब, कैसे बनाएं शौचालय

महानगर निगम के अंतर्गत देवगांव मुंडा बस्ती में करीब 90 परिवार

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 06:34 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 06:34 PM (IST)
दिहाड़ी मजदूर हैं साब, कैसे बनाएं शौचालय
दिहाड़ी मजदूर हैं साब, कैसे बनाएं शौचालय

जागरण संवाददाता, राउरकेला : महानगर निगम के अंतर्गत देवगांव मुंडा बस्ती में करीब 90 परिवारों के लिए एक सामुदायिक शौचालय बना है। लेकिन यहां पर पानी की व्यवस्था न होने से स्वयं ही पानी लेकर आना पड़ता है। जिससे बस्ती के अधिकांश लोग खुले में शौच के लिए जाना ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि यहां पर महानगर निगम की ओर से यहां का सर्वे कर लोगों को अपने-अपने घरों में शौचालय बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है। लेकिन बस्ती के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, जिस कारण पूरी राशि पहले न मिलने से वे लोग अपने दम पर शौचालय बनाने में असमर्थ है। वहीं इक्का-दुक्का लोगों ने शौचालय बनाने का प्रयास भी किया, लेकिन बकाया राशि अब तक न मिलने से उनका शौचालय अधूरा पड़ा है। जिससे घरों में शौचालय न होने तथा सामुदायिक शौचालय में पानी की व्यवस्था न होने से यहां के लोगों को शौच के लिए पास की पहाड़ी, नदी या नाले के पास जाना पड़ता है। अगर बस्ती के लोगों को घरों में शौचालय बनाने का काम शुरू होने के बाद इसकी जांच करने के बाद बाकी राशि जल्द से जल्द मुहैया कराई जा सके तो बस्ती के लोगों को खुले में शौच से मुक्ति मिल सकेगी।

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महानगर निगम के कुछ लोगों ने बस्ती का सर्वे करने के बाद लोगों को अपने-अपने घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया था। जिसमें निगम की ओर से मदद का वादा भी किया था। मुझे भी दो हजार रुपये की अग्रिम राशि मिलने के बाद शौचालय बनाने का का काम शुरू किया था। लेकिन बाकी की राशि न मिलने से मेरा शौचालय अब तक अधूरा पड़ा है।

-सरु जामदा।

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बस्ती के अधिकांश मजदूर श्रेणी के हैं। जिसमें दिहाड़ी मजदूरी से जीवन-यापन होता है। वैसे में हम लोगों के पास पैसे ही कहां हैं जो हम शौचालय बना सकें तथा बाद में इस राशि का भुगतान ले सकें। यदि निगम की ओर से अपने स्तर पर शौचालय बनाने का काम किया जाए तो हमारी परेशानी दूर हो सकती है।

- लक्ष्मी मुंडा।

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इस बस्ती के लोगों के लिए सामुदायिक शौचालय तो बना है। लेकिन यहां पानी की व्यवस्था नहीं है। जिससे यदि किसी को शौच करना हो तो स्वयं पानी ढोकर शौचालय तक लाना पड़ता है। जिससे परेशानी होती है। यदि पानी की व्यवस्था हो जाए तो लोगों को फायदा मिलेगा।

- लक्ष्मण पूर्ति।

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इस बस्ती में कुल 90 परिवारों के लिये सामुदायिक शौचालय तो बना है। शौचालय में पानी की व्यवस्था न होने से इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। यदि इस शौचालय में पानी की व्यवस्था हो सके तो खुले में शौच जाने की समस्या का समाधान काफी हद तक हो सकता है।

- मंगल मुंडा।


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