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पांच रुपये दे पाना सबके बस में नहीं है साहब

देश भर में खुले में शौच के खिलाफ अभियान चल रहा है। महा

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 05:56 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 05:56 PM (IST)
पांच रुपये दे पाना सबके बस में नहीं है साहब
पांच रुपये दे पाना सबके बस में नहीं है साहब

जागरण संवाददाता, राउरकेला : देश भर में खुले में शौच के खिलाफ अभियान चल रहा है। महानगर निगम ने भी कई वार्डो को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है। इन सबके बावजूद अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। ऐसी ही बस्तियों में शामिल है गोपबंधुपाली की तेलीपाड़ा बस्ती। जहां करीब तीन सौ से अधिक परिवार निवास करते हैं। अधिकतर घरों में यहां शौचालय नहीं है। ऐसे लोग खुले मैदान एवं दुर्गापुर पहाड़ी में जाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों की सुविधा के लिए महानगर निगम की ओर से सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया पर इसमें हर बार पांच रुपये देना पड़ता है। परिवार के सभी सदस्यों के लिए हर दिन पैसे देकर शौच जाना संभव नहीं है।

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इस बस्ती में करीब सौ घर ऐसे हैं जहां शौचालय है। अन्य घरों में या तो बने ही नहीं हैं या फिर आधा अधूरे हैं। बस्ती में सुलभ शौचालय है जहां केवल शौच के लिए पांच रुपये तथा स्नान के साथ शौच के लिए दस रुपये देने पड़ते हैं इस कारण लोग इसका इस्तेमाल करने के बजाय दुर्गापुर पहाड़ी, वेस्को ग्रीड के पास खुली जगह तथा राउरकेला इस्पात संयंत्र के स्टॉक यार्ड के भीतर शौच करने चले जाते हैं। नगर निगम की ओर से छह महीने पहले लोगों को खुले में शौच से जागरूक करने के साथ जारी निर्देशों का उल्लंघन करने पर जुर्माना की चेतावनी दी थी जिसका लोगों पर कोई असर नहीं है। आदत एवं मजबूरी सबसे बड़ी बाधक बनी हुई है।

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घर में शौचालय नहीं बना है। बस्ती में शौचालय निर्माण के लिए लोग फार्म भरने आए थे। उस समय आधार कार्ड, राशन कार्ड एवं वोटर कार्ड दिया था। पर अब निर्माण के लिए पैसा नहीं मिला। सुबह शाम पहाड़ी पर शौच के लिए जाना पड़ता है।

- कालिया पटनायक।

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शौचालय नहीं होने से दिन में अधिक परेशानी होती है। रात के समय तो कहीं भी बैठ जाते हैं पर दिन के समय अधिक मुश्किल होती है। घर से कुछ दूर पहाड़ी पर इसके लिए जाना पड़ता है। महिलाओं व बच्चों को अधिक दिक्कत है।

-दशरथ ठाकुर।

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घर में पुराना शौचालय है जो खराब हो चुका है। नए शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम में आवेदन किया गया था पर अब तक पैसा नहीं आया है। घर में लोगों की संख्या अधिक होने के कारण कभी कभी बाहर शौच के जाना मजबूरी हो जाती है।

- शांति साहू।

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नगर निगम में शौचालय निर्माण के लिए आवेदन किया था। उम्मीद थी कि पैसा जल्दी आ जायेगा इस कारण अपने पैसे से काम शुरू कराया। अब तक कुछ नहीं मिला जिस कारण यह पूरा नहीं हो पाया है। किसी तरह इसका इस्तेमाल हो रहा है।

-राम कुमार नायक।


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