घर बनाने की जगह नहीं तो शौचालय कहां बने
महताब रोड स्थित धोबी बस्ती में पांच दशक से अधिक समय से लोग झो
जागरण संवाददाता, राउरकेला : महताब रोड स्थित धोबी बस्ती में पांच दशक से अधिक समय से लोग झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। यहां लोगों के पास सोने व रसोई घर बनाने के लिए जगह कम पड़ रही है ऐसे में लोग शौचालय कहां बनाएंगे। 300 सौ से अधिक परिवार वाली इस बस्ती में अधिकतर लोगों के घरों में शौचालय नहीं है। इनके लिए सड़क के किनारे शौचालय बना है पर यह पर्याप्त नहीं है जिस कारण लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं।
धोबी बस्ती में रहने वाले अधिकतर लोग दैनिक मजदूरी एवं अन्य छोटा काम करते हैं जिनके पास शौचालय बनाने के लिए पैसे नहीं हैं। इस बस्ती के लोगों को स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय बनाने की सुविधा दी जा रही है पर अधिकतर घरों में जगह कम है जिस कारण शौचालय नहीं बनाना संभव नहीं है। पहले से ही लोग पास के पुराने तालाब एवं ¨रग रोड के किनारे खाली जगह में शौच के लिए जाते हैं। ये खुले में शौच के लिए न जाएं इसके लिए महताब रोड के किनारे दो पेन वाले शौचालय का निर्माण कराया गया है सड़क के किनारे होने तथा सुबह के समय भीड़ लगने के कारण लोग यहां इंतजार करने के बजाय बाहर ही शौच के लिए जाना पसंद करते हैं। शहर के बीच बसी इस बस्ती के आसपास खुले में शौच से गंदगी फैल रही है। इससे राउरकेला महानगर निगम क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त बनाने की योजना में बाधक साबित हो रहा है।
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बस्ती के अधिकतर घरों में शौचालय नहीं है। लोगों के पास रहने सोने के लिए जगह कम पड़ रहा है ऐसे में घरों के अंदर शौचालय बनाना संभव नहीं है। सरकार की ओर से मिल रही सहायता राशि भी ये नहीं ले पा रहे हैं।
- कामदेव सेठी।
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बस्ती के घरों में शौचालय न होने के कारण लोग खुले में ही शौच के लिए जाते हैं। सुविधा के लिए पास की एक शौचालय बनाया गया है पर यह डेढ़ हजार से अधिक आबादी वाली बस्ती के लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है।
-कल्लू खान।
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शौचालय निर्माण के लिए आवेदन किया था एवं पैसा भी स्वीकृत हुआ पर घर में शौचालय बनाने के लिए जगह नहीं है जिस कारण इसे वापस करना पड़ा। घर के अंदर शौचालय नहीं होने के कारण बाहर जाना पड़ता है जिससे परेशानी होती है।
- सुशीला देवी।
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हमारे पास पैसा कहां है कि हम शौचालय बनाएं। घर में शौचालय नहीं है जिस कारण पास के शौचालय में जाते हैं। इसकी सफाई के लिए आपस में चंदा करते हैं। कभी कभी बाहर भी जाना पड़ता है। बस्ती में यह बड़ी समस्या है।
- रेशमा देवी।