संस्कृत संवादशाला में झलकी सीखने की ललक
राउरकेला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) में राउरके
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) में राउरकेला की ऋत्विक क्लब की तरफ से आयोजित सात दिवसीय संस्कृत संवादशाला संपन्न हो गई। इसमें संस्थान के डीन, छात्र कल्याण, प्रोफेसर सीमांचल पाणिग्रही ने कहा कि यह एक सराहनीय प्रयास है। भारत की संस्कृति संस्कृत से ही जुड़ी हुई है। आज के युग में संस्कृत का प्रसार अत्यंत ही आवश्यक है।
प्रयागराज लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के धनंजय सागर मिश्र और दीपक कुमार पांडेय, झारंखड शास्त्री ने सात दिवसीय कार्यशाला का संचालन किया। उनकी अगुवाई में प्रतिभागियों ने संस्कृत सीखा। इस कार्यक्रम के संबंध में दीपक व धनंजय ने बताया कि संस्कृत से ही भारत की संस्कृति है पर आज धीरे-धीरे संस्कृत भाषा का चलन कम होता जा रहा है। भारत की जिनती आंचलिक भाषाएं हैं उनमें से ज्यादातर की जननी संस्कृत है, इसे बढ़ावा देने की जरूरत है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला के ऋत्विक क्लब की तरफ से उठाया गया यह कदम सराहनीय है। प्रो. देवी प्रसाद भी इसमें प्रतिभागी थे। उन्होंने बताया कि सात दिनों तक मैं रोजाना कार्यशाला में हिस्सा लेता था एवं संस्कृत सीखने के बाद एक अलग ही सुकून महसूस हो रहा है। यह भाषा इतनी खूबसूरत है कि इसे बयां नहीं किया जा सकता। ऋत्विक क्लव की सलाहकार तथा डा. सुरभी वर्मा ने कहा कि संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए ऋत्विक क्लब की स्थापना की गई है। आगे चल कर इस तरह के कार्यशालाओं का अधिक से अधिक आयोजन किया जाएगा। अब संस्कृत में भी नाटकों का मंचन होगा। इस दौरान क्लब के नए अध्यक्ष की घोषणा की गई। पहली बार के लिए छात्रा अनुशा नायारण को क्लब का अध्यक्ष बनाया गया तथा सुगोतो घोष को सलाहकार बनाया गया। कार्यक्रम के अंत में एकता मंत्र तथा शांति पाठ कर ज्ञानेश्वर पांडे ने सभी का आभार ज्ञापन किया। इस दौरान प्रतिभागियों ने संस्कृत में कविता पाठ, कहानी, गीत आदि का मंचन किया। इस कार्यशाला में 60 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।