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सेल कच्चा माल विभाग की राउरकेला शिफ्टिंग शुरू

सेल के कच्चा माल विभाग कार्यालय को कोलकाता से राउरकेला स्थानांतरित करने के फैसले के बाद अब प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Jul 2021 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jul 2021 09:28 PM (IST)
सेल कच्चा माल विभाग की राउरकेला शिफ्टिंग शुरू

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सेल के कच्चा माल विभाग कार्यालय को कोलकाता से राउरकेला स्थानांतरित करने के फैसले के बाद अब प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। विभाग के 25 अधिकारी राउरकेला में कार्यभार संभालेंगे। इनमें से अधिकतर आ चुके हैं एवं 10 जुलाई तक यहां काम शुरू हो जायेगा। कोलकाता से इसके स्थानांतरण को लेकर पश्चिम बंगाल के तीव्र प्रतिक्रिया थी। यहां तक कि इसके लिए कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। कोर्ट ने सेल के पक्ष में फैसला सुनाया है। इसके बाद प्रबंधन की ओर से अधिकारियों को राउरकेला में योगदान का निर्देश दिया गया है।

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सेल के कच्चा माल विभाग के कोलकाता कार्यालय में करीब 70 अधिकारी थे। उन्हें दो भाग में बांट कर राउरकेला इस्पात संयंत्र व बोकारो इस्पात संयंत्र के लिए नियोजित किया गया है। इसके लिए 30 जून को विज्ञप्ति जारी की गई है। इसके अनुसार आरएसपी में 25 अधिकारी योगदान देंगे। इसमें एक कार्यपालक निदेशक, छह महाप्रबंधक, छह उप महाप्रबंधक, तीन सहायक महाप्रबंधक, छह वरिष्ठ प्रबंधक, दो प्रबंधक, एक सहायक प्रबंधक शामिल हैं। आरएमडी कोलकाता कार्यालय के कार्यपालक निदेशक सेल्स केके कुंडू आरएसपी के कार्यपालक निदेशक खान के रूप में योगदान देंगे। इसी तरह महाप्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक, प्रबंधक, सहायक प्रबंधक भी 10 जुलाई तक योगदान देंगे। राउरकेला कच्चा माल विभाग के अधीन बलानी, बरसुआं, तालडीह, टेनसा आदि खदानें होंगी। इसी तरह झारखंड के मेगाहातुबुरु, किरीबुरू, गुवा, चिड़िया, आदि खदान बोकारो स्टील प्लांट के अधीन होंगे। कच्चा माल विभाग के आरएसपी के अधीन होने से कई क्षेत्रों में लाभ होगा। फाइंस बिक्री के लिए टेंडर व इससे मिली करोड़ों की राशि संयंत्र की आय में शामिल होगी। इससे संयंत्र को हर साल पांच सौ करोड़ रुपये की अधिक आय होने का अनुमान लगाया जा रहा है। खान क्षेत्र में कार्यरत 10 हजार से अधिक स्थायी एवं ठेका कर्मियो को विभिन्न काम के लिए कोलकाता जाना पड़ता था। अब इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा। फिजूलखर्ची रुकने के साथ ही राज्य एवं जिला प्रशासन से भी तालमेल होगा एवं यह आर्थिक विकास में मददगार होगा।


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