आदि धर्म को संवैधानिक दर्जा की मांग
जागरण संवाददाता, राउरकेला : परंपरागत आदिवासी सामाजिक एवं धाíमक संगठन राजी पाड़हा भार
जागरण संवाददाता, राउरकेला : परंपरागत आदिवासी सामाजिक एवं धाíमक संगठन राजी पाड़हा भारत एवं राज्य शाखा पादा पड़हा ओडिशा की ओर से शनिवार को बिरसा स्टेडियम में आदि धर्मावलंबियों के सम्मेलन में समाज के राजी दीवान (राष्ट्रीय अध्यक्ष) बागी लकड़ा ने आदि धर्म को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष का एलान किया। इस मौके पर बिरसा मैदान से भव्य जुलूस निकलकर एडीएम कार्यालय उदितनगर पहुंचा और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
राजी दीवान ने कहा कि भारतीय संविधान में धाíमक आस्था एवं विश्वास के अनुसार हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन व पारसी धर्म को मान्यता देने के साथ अलग कोड है तथा उन्हें सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक सुरक्षा मिल रही है पर आजादी के 70 साल बाद भी देश के आदिवासियों की अलग पूजा परंपरा एवं विश्वास होने के बावजूद उन्हें यह अधिकार नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि राजी पाड़हा और पादा पाड़हा की ओर से 18 नवंबर 2007 को राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप कर आदि धर्म को संवैधानिक मान्यता एवं धर्म कोड देने की मांग की गई थी। आदि धर्म के धाíमक आस्था और विश्वास, उपासना एवं भक्ति के संबंध में जानकारी भी दी गई थी। स्पष्ट किया गया था कि आदिवासियों की संस्कृति, पूजा पाठ, रीति रिवाज, धर्म संस्कार अन्य धर्म से बिल्कुल अलग हैं पर अब तक इस दिशा में सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई। आदिवासी इस देश में सदियों से रह रहे हैं पर उन्हें धार्मिक एवं संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पाया है। उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष के साथ तन मन धन से साथ देने का आह्वान किया।
इस मौके पर पादा पड़हा के दीवान मंचन ओराम ने भी आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार पर प्रकाश डाला तथा अधिकार पाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने पर जोर दिया। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के राजी दिवान रामचंद्र प्रधान, उपदिवान फाउदा ओराम, किसान समाज के मोहनलाल किसान, मुंडा समाज के दुबराज मुंडा, छत्तीसगढ़ के कृपाशंकर भगत, बंगाल के चंदन लोहा, आदिवासी महासभा की बबिता कच्छप, पादा पड़हा के पूर्व दीवान सुरेश ओराम, बेल मांगे लकड़ा आदि ने अपने विचार रखे। संचालन दीवान मंचन ओराम ने किया। इसके बाद इनका जुलूस उदितनगर पहुंचा, जहां एडीएम के जरिए राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया। इसमें सुंदरगढ़ जिला समेत झारखंड के पश्चिम ¨सहभूम, सिमडेगा, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ आदि जिलों से भी लोग शामिल हुए।