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77 की उम्र में भी करते हैं डाक टिकट संग्रह, 237 देशों के टिकट संग्रह का बनाया रिकार्ड

77 वर्षीय जवाहर इसरानी राउरकेला में जापानी कंपनी मैकॉन इंडिया में 1986 से 1991 तक सेक्टर-5 में रहकर काम किया। इस दौरान उन्होंने 237 देशों के 35 हजार से अधिक डाक टिकट संग्रह किए।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 10:07 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 10:07 AM (IST)
77 की उम्र में भी करते हैं डाक टिकट संग्रह, 237 देशों के टिकट संग्रह का बनाया रिकार्ड
77 की उम्र में भी करते हैं डाक टिकट संग्रह, 237 देशों के टिकट संग्रह का बनाया रिकार्ड

राउरकेला, महेन्द्र महतो। दिल्ली के लोधी रोड स्थित सिंध स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ाई के दौरान 10 साल के मासूम को शिक्षक डॉ. मोतीलाल जोतवानी ने शिक्षा दी थी कि जीवन में पढ़ाई के साथ कोई न कोई शौक रखना चाहिए। मासूम जवाहर इसरानी पर इसकी गहरी छाप पड़ी और तब से डाक टिकट संग्रह करते आ रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका जुनून व जोश कम नहीं हुआ है। अब तक वह 237 देशों के विभिन्न प्रकार के 35 हजार से अधिक डाक टिकट संग्रह कर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड, लीजेंड अवार्ड ऑफ इंडिया जैसे सम्मान व पुरस्कार ले चुके हैं।

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दिल्ली के निवासी 77 वर्षीय जवाहर इसरानी राउरकेला में जापानी कंपनी मैकॉन इंडिया में 1986 से 1991 तक सेक्टर-5 में रहकर काम किया। इस दौरान उन्होंने कई देशों के महत्वपूर्ण डाक टिकट संग्रह किए। सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका राउरकेला आना-जाना लगा रहता है। राउरकेला के दौरे पर आए जवाहर इसरानी ने बताया कि 1943 में पाकिस्तान के लाड़काना में सेक्शन आफिसर बेढ़ोमल इसरानी के परिवार में जन्म लिया था। उनके परिवार को देश विभाजन का दंश झेलना पड़ा एवं 1947 में भारत के दिल्ली स्थित पुराने किले में शरणार्थी के रूप में रहने लगे।

आर्थिक तंगी के बीच भी प्रारंभिक शिक्षा लोधी रोड सरकारी सिंधी स्कूल में लेने के बाद 1961 में अजमेर चले गए। यहां मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ड्राफ्ट्समैन का पाठ्यक्रम पूरा किया। यहां से 1962 में देहरादून आइआइपी, सीएसआइआर में नौकरी की। 1970 तक वहां सेवा के बाद जुलाई 1970 में तत्कालीन

सीईडीवी वर्तमान मैकॉन में डिजाइन असिस्टेंट के पद पर सेवा शुरू की। वर्ष 2000 में सेवानिवृत्ति के बाद दिल्ली में बस गए हैं। पिछले 14 साल से टीयूवी नोयडा में निरीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।

इस दौरान इन्होंने विश्व के 237 देशों के 35 हजार से अधिक डाक टिकट संग्रह कर चुके हैं। वह अपने साथ अलग-अलग फूल-पत्ती, फल-सब्जी, पेड़- पौधे, पशु-पक्षी, खेलकूद, पेंटिंग, परिवहन साधन, राजा महाराजा,

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, शासक, दूल्हे दुल्हन, वेशभूषा आदि वर्ग में डाक टिकट का संग्रह अपने पास रखा है। तीन सौ से अधिक स्कूल कालेज, शैक्षिक एवं औद्योगिक संस्थानों में मुफ्त में इनकी प्रदर्शनी लगायी है। इस दौरान वे बच्चों को हमेशा शिक्षा देते रहे हैं कि जीवन को जीना हो तो अपने आप को व्यस्त रखें और कोई न कोई शौक जरूर पालें।

 

इनके रिकार्ड किए नाम

  • खेलकूद पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड ।
  • पशु -पक्षी पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड।
  • परिवहन साधन पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड।
  • पेंटिंग पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड
  • लीजेंड अवार्ड ऑफ इंडिया। 
  • इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड।

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