केले के तने से बनेंगे प्लेट्स व एयर टाइट पैकिग बॉक्स
आम तौर पर सामूहिक भोज एवं अन्य कार्यक्रमों में भोजन के लिए लोग साल सियाली सहित केले के पत्ते के पत्तल का इस्तेमाल करते थे।
महेन्द्र कुमार महतो, राउरकेला
आम तौर पर सामूहिक भोज एवं अन्य कार्यक्रमों में भोजन के लिए लोग साल, सियाली सहित केले के पत्ते के पत्तल का इस्तेमाल करते थे। जंगल कटने एवं पत्तों की उपलब्धता कम होने के कारण इसकी जगह कागज, प्लास्टिक एवं थर्मोकोल से बनी पत्तल व प्लेट का प्रयोग होने लगा। यह सस्ता एवं सुलभ होने के कारण लोग इसे अधिक इस्तेमाल करने लगे। प्राकृतिक रूप से इनके नष्ट होने में समय लगने के कारण प्रदूषण बढ़ने लगा। राउरकेला की बेटी प्रोडक्ट डिजाइनर हिमानी साहू ने इस समस्या से निजात दिलाने के लिए केले के तने से प्लेट एवं एयर टाइट पैकिग बॉक्स की खोज की है। इसके लिए कंपनी का पंजीयन एवं पेटेंट हो चुका है तथा उत्पादन भी शीघ्र शुरू होने वाला है।
राउरकेला के ए-31 सेक्टर-20 निवासी इस्पात संयंत्र के आरएमसी विभाग के मास्टर तकनीशियन दीनबंधु साहू व सुभाषिनी साहू की बड़ी बेटी हिमानी साहू ने इस्पात इंग्लिश स्कूल सेक्टर-20 से वर्ष 2010 में 10वीं तथा 2012 में कार्मेल स्कूल राउरकेला से आइसीएसई 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वह नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी (निफ्ट) चेन्नई में एसेसरीज एंड प्रोडक्ट डिजाइनर की पढ़ाई शुरू की। हिमानी ने नीदरलैंड से 2020 में मास्टर की डिग्री हासिल की।
हिमानी के अनुसार, उसने वर्ष 2015 में प्लास्टिक व थर्मोकोल प्लेट्स व पैकिग बॉक्स का विकल्प की खोज शुरू की थी। इसका अलग ऐसा विकल्प निकालना चाहा जिसका कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो एवं उत्पाद का इस्तेमाल होने के बाद कचरा प्राकृतिक रूप से शीघ्र नष्ट भी हो। इसके लिए केले के तने को चुना और इससे प्लेट तैयार की। वर्ष 2020 में हिमानी ने आइआइएम काशीपुर में स्टार्ट अप के लिए आवेदन किया एवं अपने उत्पाद की जानकारी दी। हिमानी के इस उत्पाद की प्रशंसा की गई एवं स्टार्ट अप के लिए उन्हें चुन लिया गया। हिमानी ने बताया कि भारत में केले के पेड़ बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। फल कटने के बाद तने को जला दिया जाता है या पानी में नष्ट किया जाता है। इससे प्रदूषण बढ़ता है। इस बेकार चीज का इस्तेमाल कर प्राकृतिक प्लेट एवं एयर टाइट पैकिग बॉक्स तैयार किया। इससे किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होगा एवं भोजन भी शुद्ध रहेगा। बॉक्स में गर्म व ठंडा दोनों तरह का भोजन रखा जा सकता है। इस स्टार्ट अप में सिद्धार्थ को- फाउंडर हैं। अपने उत्पाद का कंपनी रजिस्ट्रेशन करा चुकी हूं। डिजाइन का पेटेंट भी कराया है। मशीनें महंगी होने के कारण निवेशक की तलाश हैं। भारत सरकार के स्टार्ट अप से 50 लाख रुपये की स्वीकृति मिलने वाली है एवं देहरादून से अपना काम शुरू करूंगी।
हिमानी साहू, एसेसरीज एंड प्रोडक्ट डिजाइनर बचपन से ही हिमानी को पढ़ाई के साथ-साथ नृत्य-गीत व चित्रांकन में भी रुचि थी। परिवार में कोई फैशन डिजाइन क्षेत्र में नहीें होने के बावजूद स्कूल के शिक्षकों की प्रेरणा से उसने यह क्षेत्र चुना एवं खुद की इच्छा शक्ति, लगन एवं मेहनत से आगे बढ़ रही है। इसके लिए हमें गर्व है।
दीनबंधु साहू, पिता, मास्टर तकनीशियन