अभिभावकों संग प्राध्यापकों ने किया मंथन
राउरकेला जूनियर कालेज सेक्टर-4 में प्राध्यापक एवं अभिभावकों की दो दिवसीय बैठक हुई जिसमें शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के साथ कालेज में आने वाले बच्चों की घरों में निगरानी रखने तथा उन्हें बेहतर शिक्षा देने पर चर्चा की गयी। जूनियर कालेज की प्रो. सुजाता प्रधान की अध्यक्षता में इसका आयोजन किया गया जिसमें तीन सौ से अधिक अभिभावक शामिल हुए।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : राउरकेला जूनियर कॉलेज सेक्टर-4 में प्राध्यापक एवं अभिभावकों की दो दिवसीय बैठक हुई जिसमें शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के साथ कॉलेज में आने वाले बच्चों की घरों में निगरानी तथा उन्हें बेहतर शिक्षा के तौर तरीके पर विचार विमर्श किया गया। जूनियर कॉलेज की प्रो. सुजाता प्रधान की अध्यक्षता में इसका आयोजन किया गया। जिसमें करीब तीन सौ से अधिक अभिभावक शामिल हुए।
बैठक में बच्चों के माता पिता एवं अभिभावकों को वर्तमान शिक्षा व्यवस्था, कक्षा में होने वाली पढ़ाई, 75 फीसद तक उपस्थिति सुनिश्चित करने, कॉलेज के पोशाक में ही पढ़ने आने, मोबाइल का इस्तेमाल ठीक तरह से करने पर जोर दिया गया। अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापिका डा. तपस्विनी मिश्र ने छात्रों के भविष्य निर्माण के संबंध में अपने विचार रखे। कॉलेज की दर्शन शास्त्र विभाग की प्राध्यापिका भारती बबरा ने विद्यार्थियों ने उनके कीमती समय का सदुपयोग करने का परामर्श दिया। ओडिया विभाग के प्राध्यापक वन विहारी किसान ने पाठ्य पुस्तक खरीदने तथा इसका ठीक तरह से उपयोग करने की सलाह दी। इसके अलावा अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के अलावा दिव्यांग, मेधावी, अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों को सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं पर भी प्रकाश डाला। अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक अनूप एक्का ने समय का सदुपयोग करने तथा अनुशासित जीवन जीने पर जोर दिया। इतिहास विभाग के प्राध्यापक तारिणी नायक ने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान स्वास्थ्य तथा सफाई पर भी अपने विचार रखे। हिन्दी विभाग की प्राध्यापिका डा. नागिनी बानो ने आत्मसुरक्षा तथा राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। वाणिज्य विभाग के प्राध्यापक अजीत कुमार बेग ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक रश्मिरंजन राउत ने किया। इसमें अनिल नायक, जगबंधु बारिक, वासिल लकड़ा, भारती किसान, सुलोचना साहू, अनीता केरकेटा, डमरूधर महंती आदि ने भी अपने विचार रखे।