न्याय न मिला तो खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठान (एनआइटी) राउरकेला के विभिन्न
जागरण संवाददाता, राउरकेला: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठान (एनआइटी) राउरकेला के विभिन्न हॉल के मेस में काम करने वाले कर्मचारियों ने हक के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का निणर्य लिया है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि यहां पर तीन दशकों से भी ज्यादा समय से काम करने के बाद वे लोग न्यूनतम मजदूरी समेत अन्य सुविधा से वंचित हैं। शुक्रवार को सेक्टर-4 आइबी में हुई प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठान कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
इस प्रेसवार्ता में संघ के सचिव सुमन कुमार नायक, संयुक्त सचिव विपदरंजन पंडा, सलाहकार मनोज पटनायक व प्रफुल्लचंद्र महंती की उपस्थिति में बताया गया कि एनआइटी बनने से पूर्व तत्कालीन आरइसी में यहां के सात हाल के मेस में 153 कर्मचारी काम करते थे। अब यह संख्या बढ़कर 357 हो गयी है। इन कर्मचारियों में हेड कुक, असिस्टेंट कुक, कुक हेल्पर, हेड मिस्त्री, मिस्त्री, मिस्त्री हेल्पर, सप्लायर (टेबल बाय), वार्ड बाय तथा मसालची आदि शामिल हैं। विगत तीन दशकों से काम करने के बाद इन लोगों को प्रति महीने 6,000 से 7,000 रुपये ही मिलते हैं। जबकि सरकारी निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के अनुसार इन लोगों को न्यूनतम 18,000 रुपये से अधिक रुपये मिलने चाहिये। इन लोगों ने इस मांग को लेकर एनआइटी निदेशक का ध्यान आकर्षित कराने के साथ केंद्रीय श्रमायुक्त (आंचलिक) का भी ध्यान दिलाया जा चुका है। लेकिन इतने वर्षाें के बाद यह मांग क्यों उठा रहे हैं के सवाल पर इनका कहना था कि पहले हक के लिये आवाज उठाने से इसे दबा दिया जाता था। अब उन्होंने विगत सात महीनों से यह लड़ाई शुरू की है, जिसमें यदि न्याय न मिला तो वे अदालत की शरण में जाएंगे।