Move to Jagran APP

अजा, अजज उत्पीड़न कानून पर पुनर्विचार की मांग

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति उत्पीड़

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 07:04 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 07:04 PM (IST)
अजा, अजज उत्पीड़न कानून पर पुनर्विचार की मांग
अजा, अजज उत्पीड़न कानून पर पुनर्विचार की मांग

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न कानून-1989 पर 20 मार्च को दिये गये फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सुंदरगढ़ जिला आदिवासी अधिवक्ता संघ की ओर से एडीएम के जरिये भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया है।

loksabha election banner

संघ के अध्यक्ष पीटर ¨मज एवं महासचिव मनुएल सोरेन की अगुवाई में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति व जनजाति के अधिवक्ता एडीएम कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया एवं ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने उल्लेख किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के फैसले से आदिवासियों का मौलिक अधिकार छिन जाएगा तथा उन पर अत्याचार और बढ़ जाएगा। नया कानून आने से आदिवासियों को अत्याचार पर न्याय मिलने में देरी होगी। इस कारण कानून में किसी प्रकार का बदलाव न कर पुराने कानून को ही बरकरार रखने का अनुरोध संघ की ओर से किया गया है। संघ की ओर से अपने ज्ञापन की प्रति ओडिशा के राज्यपाल तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग को भी प्रेषित किया गया है। इसमें सुंदरगढ़ जिला आदिवासी अधिवक्ता संघ के संजय दीप, बसंत तांड़ी सुरेश बेहरा, कान्हू किसान, बैजंत एक्का, गो¨वद तांती, ब्रह्मा गरुड़, दांतिया तांती, राजेश्वर पात्र, एटी बाखला, मनीष बेहरा आदि लोग शामिल थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.