Move to Jagran APP

लीची खाये पर इन बातों का हमेशा रखें ध्यान, चमकी बुखार का मुख्‍य कारण माना जा रहा है ये फल

ओडिशा सरकार ने बाजार से लीची का नमूना संग्रह कर जांच करने का निर्देश दिया है गौरतलब है कि चमकी बुखार का मुख्य कारण लीची को माना जा रहा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 10:48 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 10:48 AM (IST)
लीची खाये पर इन बातों का हमेशा रखें ध्यान, चमकी बुखार का मुख्‍य कारण माना जा रहा है ये फल

राउरकेला, जेएनएन। बिहार के मुजफ्फरपुर एवं आसपास के इलाके में चमकी बुखार से 134 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। लीची के कारण इस बुखार का वायरस बच्चों में फैलने की बात कही जा रही है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा लीची की गुणवत्ता की जांच करने का निर्देश देने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। जिलाधीश रश्मिता पंडा ने सभी को पहल करने का निर्देश दिया है।

loksabha election banner

बाजार से गायब हुई लीची

चमकी बुखार का मुख्य कारण लीची को माना जा रहा है। स्थानीय रूप से खंडाधार तथा बानो क्षेत्र से लीची आती है। बंगाल एवं बिहार के मुजफ्फरपुर इलाके से भी व्यापारी लीची मंगाते हैं। बाहर से आने वाली लीची सप्ताह दो सप्ताह के अंदर ही खराब होने लगती हैं। रमजान व सावित्री व्रत के समय अधिक मात्रा में लीची मंगायी गयी थी। अब इसका सीजन खत्म होने के कारण कहीं-कहीं लीची नजर आ रही हैं। 

चमकी बुखार का कारण

आइजीएच के पूर्व संयुक्त निदेशक डा. आरबी महापात्र का कहना है कि चमकी बुखार एक्यूट एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम  (एईएस) जापानी वायरस, एंट्रो वायरस एवं हार्विस वायरस के कारण होता है जिसका संक्रमण एक-दूसरे पर मच्छरों से होता है।

वायरस अप्रैल से जून महीने में अधिक सक्रिय होते हैं। इसका एक कारण लीची भी है। लीची में प्राकृतिक रूप से हाइपोग्लाइसिन ए एवं मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन टॉक्सिन पाया जाता है। यह शरीर में बीटा ऑक्सीडेशन को रोक देते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया यानी रक्त ग्लूकोज को कम कर देता है। इससे रक्त में फैटी एसिड्स की मात्रा बढ़ जाती है। लीवर में ग्लूकोज कम होने की वजह से पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज रक्त के साथ मस्तिष्क में नहीं पहुंच पाता है जिससे रोगी की हालत खराब हो जाती है।

चमकी बुखार के लक्षण

रोगी को चमकी यानी मिर्गी जैसे झटके आना, बेहोशी आना, सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द, अचानक बुखार आना, पूरे शरीर में दर्द होना, जी मिचलाना और उल्टी होना, बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना, दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना, पीठ में तेज दर्द और कमजोरी, चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना।

शोध की जरूरत

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम इसका कारक है। इस पर नियंत्रण के लिए अब तक कोई कारगर दवा नहीं बन पाया है। एक बार किसी के शरीर में यह सिंड्रोम प्रवेश करने के बाद उसका इलाज मुश्किल हो जाता है। केवल लक्षण के अनुसार की चिकित्सक इसका इलाज एवं दवा देते हैं। देश में इसके लिए व्यापक शोध की जरूरत है। 

लीची के कारण चमकी बुखार होने की बात कही जा रही है। सरकार की ओर से जांच के लिए निर्देश जारी होने की सूचना टीवी व अखबारों से मिल रही है। अब तक लिखित रूप से कुछ सूचना व निर्देश नहीं मिला है। निर्देश मिलने के बाद नमूने संग्रह कर जांच के लिए भेजे जायेंगे।

स्वागतिका बेहरा, फूड इंस्पेक्टर, राउरकेला

ओडिशा में अब तक हाई अलर्ट जारी नहीं किया गया है और न ही जिले में इस तरह के मरीजों की पहचान ही हो पायी है। बिहार में बच्चों की मौत की घटना को लेकर सतर्कता बढ़ायी गयी है। इसके लिए तैयारियां भी की जा रही है।

डॉ. दीनबंधु पंडा, अधीक्षक, राउरकेला सरकारी अस्पताल 

ऐसे करें बचाव

बच्चों को रात में अच्छी तरह से खाना खिलाकर सुलाएं। खाना पौष्टिक होना चाहिए। बच्चों को खाली पेट लीची न खाने दें। अधपकी लीची का सेवन कदापि न करने दें। चमकी बुखार के लक्षण दिखाई पड़ें वैसे ही बच्चे को मीठी चीजें खाने को देनी चाहिए। अगर संभव हो तो ग्लूकोज पाउडर या चीनी को पानी में घोलकर देना चाहिए, ताकि रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सके और मस्तिष्क को प्रभावित होने से बचाया जा सके। लक्षण नजर आते ही बच्चे को अस्पताल ले जाना चाहिए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.