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निजी चिकित्सक चौबीस घंटे बंद रखेंगे काम

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ओडिशा क्लीनिकल एस्टाब्लीस्मे

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 07:00 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 07:00 PM (IST)
निजी चिकित्सक चौबीस घंटे बंद रखेंगे काम
निजी चिकित्सक चौबीस घंटे बंद रखेंगे काम

जागरण संवाददाता, राउरकेला :

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ओडिशा क्लीनिकल एस्टाब्लीस्मेंट एक्ट-2018 में कठिन प्रावधानों को हटाने की मांग कर रहे हॉस्पिटल एसोसिएशन के समर्थन में आ गया है। साथ ही 25 मई की सुबह 6 बजे से 26 मई की सुबह 6 बजे तक 24 घंटे निजी चिकित्सकों के कामबंद की घोषणा की है। इन चौबीस घंटों में निजी चिकित्सक इंडोर मरीजों को देखेंगे लेकिन इमरजेंसी के किसी मरीज को नहीं देखेंगे।

आइएमए राउरकेला चैप्टर के अध्यक्ष डा विश्वजीत महापात्र ने बताया कि इस एक्ट में छह ¨बदुओं को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया गया है। वहीं इनमें संशोधन की मांग रखी है। इसके अलावा सरकारी डॉक्टरों के साथ निजी डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रति ध्यान देने की मांग भी की गई है। इस बाबत प्रेस में जारी बयान में आइएमए ने कहा कि वर्ष 2014 से ही ओडिशा में क्लीनिकल एस्टाब्लीस्मेंट के पंजीकरण व नवीनीकरण में मुश्किलें पेश आने लगी थी। अब इस नए कानून में और कड़े प्रावधान होने से निजी क्लीनिक व अस्पताल से जुड़े डॉक्टरों के लिए इनका अक्षरश: पालन करना आसान नहीं है। इसे लेकर आइएमए ने इस एक्ट की छह ¨बदुओं को लेकर हॉस्पीटल एसोसिएशन के प्रति अपना समर्थन जताया है।

इसके तहत आइएमए ने इस एक्ट को सरकारी व निजी अस्पतालों में समान भाव से लागू करने तथा दोनों के बीच किसी प्रकार की भेदभाव न करने, क्लीनिकल पैथोलोजी में पैथोलोजिस्ट तथा एक्स-रे यूनिट के लिये रेडियोलोजिस्ट की आवश्यकता के नियम को बदलने की मांग की है तथा छह महीनों के अनुभव के साथ एमबीबीस डॉक्टर को यह यूनिट चलाने की अनुमति देने, अग्निशमन से जुड़ी कठ्नि शर्तों का पालन करना प्रैक्टिकली संभव न होने से इसमें बदलाव करने, मेडिकल क्वालीफाइड व्यक्तियों को सुपरवाइ¨जग अथॉरिटी की जिम्मेदारी देने या सुपरवाइ¨जग अथोरिटी के तौर पर तैनात करने, पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट में फार्म एफ भरने में रियायत देने, सरकारी डॉक्टरों के सुरक्षा के लिए बने कानून को निजी अस्पतालों में भी लागू करने, इस एक्ट में सीजीएचएस नियम के अनुसार निजी अस्पतालों में भी रेट चार्ट के प्रावधान को हटाने को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है।


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