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सौ साल की यादें समेटे है हमीरपुर चर्च

हमीरपुर स्थित कैथेड्रल आफ दि स्क्रेड हर्ट शहर का पहला गिरजाघर है। यह अपनी सौ साल की यादें अपने में समेटे है। धर्म के साथ-साथ सेवा के लिए परिचित इस गिरजाघर में इस साल भी क्रिसमस की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। क्रिसमस के मौके पर यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचकर प्रभु ईशु के जन्म दिन पर सामूहिक प्रार्थना करते हैं एवं एक दूसरे को इसकी शुभकामनायें देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 06:20 AM (IST)
सौ साल की यादें समेटे है हमीरपुर चर्च

महेंद्र महतो, राउरकेला

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हमीरपुर स्थित कैथेड्रल ऑफ द स्क्रेड हॉर्ट शहर का पहला गिरजाघर है। यह अपने भीतर सौ साल की यादों को समेटे हुए है। धर्म के साथ-साथ सेवा के लिए परिचित इस गिरजाघर में इस साल भी क्रिसमस की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। क्रिसमस के मौके पर यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचकर प्रभु ईशु के जन्मदिन पर सामूहिक प्रार्थना करते हैं एवं एक दूसरे को इसकी शुभकामना देते हैं।

गिरजाघर का इतिहास : रोमन कैथोलिक कैथेड्रल राउरकेला धर्मप्रांत के द्वारा संचालित यह गिरजाघर शहर का सबसे पुराना गिरजाघर है। सोसाइटी आफ जीसस प्रीस्ट के अधीन 1908 में केसरामाल में गिरजाघर की स्थापना हुई थी। इसके बाद 1918 में इसकी स्थापना की गई। तब इस मिशन को गांगपुर मिशन के रूप में जाना जाता था। 1964 तक यह कोलकाता धर्मप्रांत के अधीन था। 4 जुलाई 1979 में राउरकेला धर्म प्रांत की स्थापना हुई एवं पहले विशप के रूप में फादर अल्फांस विलुंग का अभिषेक हुआ। 29 सितंबर 2013 को वर्तमान विशप किशोर कुमार कुजूर का अभिषेक किया गया।

धर्म के साथ सेवा कार्य : राउरकेला धर्म प्रांत अधीनस्थ हमीरपुर गिरजाघर परिसर में ही सेंट पौल स्कूल, सेंट जोसफ कान्वेंट स्कूल, सेंट कार्मेल स्कूल, हमीरपुर हाईस्कूल हैं। धर्मप्रांत में तीन जूनियर कालेज, पांच हाईस्कूल, एक मध्य विद्यालय, 151 प्राथमिक विद्यालय व स्वालंबन के लिए विभिन्न प्रशिक्षण देने के लिए 14 संस्थानों का संचालन हो रहा है। इसके अधीन 43 (पारिस) बड़े गिरजाघर हैं।

गिरजाघर में पर्व त्योहार : हमीरपुर गिरजाघर में ईसाई संप्रयास से जुड़े हर पर्व त्योहार पर प्रार्थना सभा के साथ साथ विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। क्रिसमस एवं ईस्टर के मौके पर यहां सबसे अधिक भीड़ होती है। शहर के विभिन्न इलाके के अलावा दूर दराज के गांव के लोग भी इस मौके पर पहुंचकर प्रार्थना करते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन यहां साल भर चलता है। रविवार के साथ साथ हर दिन सुबह एवं शाम की प्रार्थना में भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।

चल रही क्रिसमस की तैयारियां : शहर का सबसे पुराना एवं बड़ा गिरजाघर होने के कारण यहां क्रिसमस पर विशेष तैयारी की जा रही है। हर साल की भांति गिरजाघर परिसर में ही माता मरियम के साथ बालक ईशु की झांकी तैयार की जाएगी। बालक ईशु के जन्म स्थल को दर्शाने वाली झांकी यहां आकर्षण का केंद्र होगी। बड़े दिन पर ईशु के जन्म की घोषणा के साथ ही यहां पहुंचे लोग ईशु चुम्मा का रस्म अदा करेंगे। इसके बाद एक दूसरे को बड़े दिन की बधाई देंगे। गिरजाघर को सजाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। हजारों की भीड़ को देखते हुए यहां सभी व्यवस्था यहां की जाएगी।


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