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हाथियों के भय से कच्चा धान काटकर घर ले जा रहे किसान

दिन-प्रतिदिन संकुचित होते जंगल एवं जनबस्तियों में वृद्धि से वन्य जीवों के लिए खाने की कमी होती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 01:17 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 01:17 AM (IST)
हाथियों के भय से कच्चा धान काटकर घर ले जा रहे किसान
हाथियों के भय से कच्चा धान काटकर घर ले जा रहे किसान

जागरण संवाददाता, राउरकेला : दिन-प्रतिदिन संकुचित होते जंगल एवं जनबस्तियों में वृद्धि से वन्य जीवों के लिए खाने की कमी होती जा रही है। इस कारण वे भोजन की तलाश में जन बस्ती की ओर रुख कर रहे हैं। इससे मनुष्य व वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष आम बात हो गई है। कुछ दिनों के भीतर धान की फसल पकने वाली है। लेकिन जंगल के आसपास अंचलों में आए दिन हाथियों का उपद्रव जारी रहने से किसान अपनी उपज को लेकर बेहद परेशान है और कुछेक गांवों में तो हाथी के डर से लोग खेत में खड़ी धान की कच्ची फसल ही काटकर सुरक्षित करने में हुए हुए है।

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ऐसा ही एक मामला बड़गा वनांचल के कुतरा ब्लॉक से सामने आया है। यहां आए दिन हाथियों का उत्पात किसानों के जानमाल को नुकसान पहुंचा रहा है। इससे तंग आकर किसान खेत में खड़ी धान की फसल पकने से पहले ही काटकर अपने घर ले जा रहे हैं। विगत 2 माह से इस क्षेत्र में हाथियों का आतंक देखा जा रहा है। झारखंड व ओडिशा के हाथी क्षेत्र में डेरा जमाए हुए हैं। 50 के करीब हाथियों का झुंड अंचल में घूम-घूम कर धान की फसल को खाने के साथ रौंदकर बर्बाद कर रहा है। हाथियों के भय से लोग शाम होते ही घर में दुबकने को विवश हैं। हालांकि जिन किसानों की फसल पकने को है वह आग जलाकर रात भर पहरेदारी कर रहे हैं। विभिन्न जगहों से आया 50 हाथियों का यह झुंड दो भागों में बंट कर कुतरा प्रखंड के विभिन्न गांव में उत्पात मचा रहे हैं। पचरा व कुसुमडेगी अंचल में एक दल 22 की संख्या में तथा सियालजोड़ा व बीरतोला अंचल में दूसरा दल 30 की संख्या में डेरा जमाए हुए है। इन दलों द्वारा सियालजोर, जुराजामा, ऑटो मुंडा, बोरतोला, कादोपड़ा, पंचरा, नवागांव, कटंगझरिया, कुसुमडेगी, रायडीह, किरिगसेरा, कटंग, राजाबाजा अंचल के किसान इन हाथियों के उत्पात से त्राहि-त्राहि हैं।

ग्रामीणों द्वारा इस संबंध में वन विभाग को शिकायत किए जाने के बावजूद वन विभाग हाथियों को भगाने में अब तक असफल रहा है। विभाग के हाथ पर हाथ धरे बैठे होने कारण किसान अपनी फसलों के नुकसान को लेकर चितित है।


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