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अध्यापन व लोक सेवा को बनाया जीवन का मकसद

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक दिलीप कुमार भुई ने अध्यापन व

By Edited By: Published: Tue, 19 Jul 2016 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jul 2016 03:01 AM (IST)
अध्यापन व लोक सेवा को बनाया जीवन का मकसद

जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक दिलीप कुमार भुई ने अध्यापन व लोक सेवा को ही अपने जीवन का मकसद बनाया है। सेवाकाल ही नहीं सेवानिवृत्ति के बाद भी बस्ती क्षेत्र के गरीब व असहाय बच्चों को पढ़ाना दिनचर्या से जुड़ी है। मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के आवासीय स्कूल श्रद्धा में जाकर बच्चों को पढ़ाते रहे हैं। इसके लिए राज्य सरकार, भारत सरकार के अलावा विदेशों में भी कई सम्मान एवं प्रशंसापत्र प्राप्त हुए हैं।पश्चिमबंगाल के बांकुड़ा जिला निवासी आरएसपी अधीनस्थ इस्पात जेनरल अस्पताल में फार्मासिस्ट स्व. भोलानाथ भुई एवं माता गौरीबाला भुई के ज्येष्ठ पुत्र दिलीप कुमार भुई की प्राथमिक शिक्षा राउरकेला के इस्पात लोवर सेकेंडरी स्कूल में हुई। 1971 में इस्पात हाईस्कूल सेक्टर-14 से दसवीं की परीक्षा पास की। राउरकेला स्वयंशासित कालेज राउरकेला से 1975 से स्नातक, 1979 में इतिहास में स्नातकोत्तर एवं 1980 में बीएड की डिग्री ली। इसके बाद 1981 में अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। छात्र जीवन से ही एनसीसी से जुड़े रहे एवं 1974 में एनसीसी की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने पर सी-प्रमाणपत्र मिला। जून 1977 में विवेकानंद विद्यामंदिर में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में सेवा शुरू की। यहां 30 साल तक सेवा के बाद 2009 में सहायक शिक्षक के रूप में उदितनगर हाईस्कूल में तबादला हुआ। 2010 में नयाबाजार म्यूनिसिपल सरकारी हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक के रूप में पदोन्नति मिली। जनवरी 2013 में यहां से सेवानिवृत्त हुए। सेवा काल में ही 1980 से 2010 तक एनसीसी के चीफ आफिसर के पद पर रहे, ओडिशा की एनसीसी हॉकी टीम को नेहरूकप में दो बार प्रतिनिधित्व दिलाई एवं टीम का प्रदर्शन बेहतर रहा। इनके दर्जनों शिष्य देश व विदेशों में सेना व अन्य पदों पर कार्यरत हैं। दिलीप कुमार भुई राउरकेला के मुख्य सेवाभावी संगठन रामकृष्ण मिशन संघ, श्रद्धा, हिन्दु मिलन मंदिर, लायंस क्लब समेत अन्य संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़कर जन्नाथ कुष्ठाश्रम सेक्टर-6 के अलावा विभिन्न बस्तियों में जाकर गरीब बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा, स्वास्थ्य व सफाई के अलावा अन्य सेवा कार्य कर अपनी अलग पहचान बनाई है।

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सेवा व अध्यापन के लिए मिले पुरस्कार

- वर्ष 2006 में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में राज्य पुरस्कार ।- वर्ष 2009 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी ¨सह पाटिल के द्वारा अध्यापन के क्षेत्र में प्रसंशनीय लोक सेवा के लिए सम्मान।

- वर्ष 2010 में केन्द्र सरकार द्वारा श्रेष्ठ एनसीसी आफिसर के रूप में मुख्यमंत्री स्वर्ण पदक प्रदान।-वर्ष 2011 में तत्कालीन राज्यपाल मुरलीधर चंद्रकांत भंडारे के द्वारा लाइफ टाइम बेस्ट एचिवमेंट अवार्ड।

-वर्ष 2012 में ग्लोवल फाउंडेशन ने बैंकाक थाइलैंड में समाज सेवा के लिए इंटरनेशल कोहिनूर अवार्ड।


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