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खुलने लगे बाजार, पत्तल-दोना अभी दरकिनार

कोरोना के चलते होटल रेस्टोरेंट व नाश्ता की दुकानें बंद हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 01:37 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 01:37 AM (IST)
खुलने लगे बाजार, पत्तल-दोना अभी दरकिनार

जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोरोना के चलते होटल, रेस्टोरेंट व नाश्ता की दुकानें बंद हैं। इसका असर पत्तल-दोना बेच कर आजीविका चलाने वालों पर पड़ा है और उनका रोजगार छिन गया है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं पत्तल-दोना बेचने आती थी पर अब वे कहीं- कहीं नजर आ रही हैं। ग्राहक नहीं होने के कारण उनको को भी शाम को निराश होकर लौटना पड़ता है।

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कोरोना के चलते शट डाउन व लॉक डाउन के नियमों का पालन करना पड़ रहा है। दुकान बाजार खुलने के बाद भी कारोबार मंदा पड़ा है। लोग बाहर का खाना पीना पसंद नहीं कर रहे हैं एवं इससे बच रहे हैं। इसका असर पत्तल-दोना के कारोबार पर भी पड़ा है। झारखंड के पश्चिम सिंहभूम सारंडा जंगल से साल एवं सियाली पत्ता के बने पत्तल दोना की शहर में अधिक मांग थी। लोग घरों में कुटीर उद्योग के रूप में पत्तल-दोना तैयार कर दुकानों तक पहुंचाते थे। पार्टी एवं भोज बंद होने के कारण इसकी मांग खत्म हो गई है। छोटे बड़े होटलों में नाश्ता के लिए साल व सियाली पत्ता के बने दोना में परोसने का चलन भी था। शुद्धता पसंद करने वाले लोग पत्तल व दोना में भोजन व नाश्ता करते थे जिस कारण हाथ के बने दोना पत्तल हर जगह नजर आते थे। मनोहरपुर, जराईकेला, भालूलता व बिसरा ग्रामांचल की महिलाएं पत्ता तोड़ कर लाती थी एवं रेलवे कालोनी, पुराना स्टेशन रोड, ट्रैफिक गेट, झारखंड मार्केट, पानपोष मार्केट, डेली मार्केट में बैठ कर तुरंत पत्तल-दोना तैयार कर बेचती थी एवं इसी से उनका परिवार चलता था। रात की गाड़ी से राउरकेला आकर दिन भर पत्तल-दोना बेच कर शाम को ट्रेन से घर लौटती थी। अब ट्रेन नहीं होने के कारण महिलाओं को बस से आना पड़ रहा है। इससे अधिक भाड़ा भी लग रहा है एवं आय भी कम हो गयी है।


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