पर्यटन को बढ़ावा देता हैंगिग ब्रिज
कोयल शंख एवं सरस्वती नदी के संगम तथा ब्राह्माणी नदी के उद्गम
जागरण संवाददाता, राउरकेला : कोयल, शंख एवं सरस्वती नदी के संगम तथा ब्राह्माणी नदी के उद्गम स्थल वेदव्यास का ऐतिहासिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यहीं गुफा में रहकर महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की थी एवं श्रीमद् भागवत की रचना की थी। इस पवित्र स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए इसे देवोत्तर विभाग की सूची में शामिल किया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोयल नदी पर यहां छेंड कॉलोनी साइड से मंदिर तक हैंगिग ब्रिज बनाने की योजना थी। जो सालों से अधर में लटकी पड़ी है।
इसी क्रम में वेदव्यास मंदिर क्षेत्र के विकास के लिए वेदव्यास ट्रस्ट बोर्ड का गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष राउरकेला के अतिरिक्त जिलापाल होते हैं। ऐतिहासिक बालुंकेश्वर एवं चंद्रशेखर मंदिर क्षेत्र में विकास कार्य के साथ साथ सुंदरता बढ़ाने के लिए राउरकेला इस्पात संयंत्र तथा सरकारी अनुदान पर विभिन्न कार्य किए गए हैं। अत्याधुनिक सुविधा वाले श्मशान घाट का भी यहां निर्माण किया गया है। संगम स्थल पर महाशिवरात्रि एवं श्रावणी मेले के भव्य आयोजन होता है। इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। संगम स्थल से जाने के लिए ब्राह्माणी पुल पार करना पड़ता है। इससे सेक्टर, छेंड कॉलोनी, पानपोष बस्ती क्षेत्र के लोगों की दूरी करीब पांच किलोमीटर बढ़ जाती है। कुछ लोग नाव से भी नदी पा करते हैं। कभी कभी यहां बांस का पुल भी तैयार किया जाता है।
वेदव्यास त्रिवेणी संग्रम को शहर ही नहीं बल्कि पश्चिम ओडिशा का प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है। राउरकेला में पर्यटकों को वैष्णो देवी मंदिर, गायत्री मंदिर, तारिणी मंदिर, सेक्टर-2 अहिराबंध मंदिर, तारिणी मंदिर सिविल टाउनशिप, तारा तारिणी मंदिर सेक्टर-6, हनुमान वाटिका आदि खूब लुभाते हैं। वेदव्यास त्रिवेणी संगम पर नदी पार करने के साथ साथ ब्राह्माणी व कोयल नदी के ऊपर से गुजर कर इसका नजारा देखने का मौका दिलाने के लिए ही यहां एक हैंगिग ब्रिज बनाने की योजना थी पर अब तक इसे साकार रूप नहीं दिया जा सका है। जबकि शहरवासी लंबे समय से इसकी मांग करते चले आ रहे हैं।
एक्सपर्ट की राय
वेदव्यास गुफा, मंदिर एवं संगम को पर्यटन स्थल का रूप देने में हैंगिग ब्रिज का बड़ा अवदान होगा। यह मनोरंजन के साथ साथ नदी पार करने का माध्यम भी बनता पर लंबे समय से यह केवल योजना तक ही सीमित रह गया है। देवोत्तर विभाग को इसके निर्माण में ध्यान देना चाहिए।
- अनुपम राय, महासचिव वेदव्यास ट्रस्ट बोर्ड।