श्रीकृष्ण की लीला में लोककल्याण निहित
अग्रसेन भवन में शाह परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत क
जागरण संवाददाता, राउरकेला : अग्रसेन भवन में शाह परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथावाचक रमेश चंद्राचार्य ने कहा कि यदि जीवन को आनंद उत्सव बनाकर जीया जाए तो जीवन धन्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान की हर लीला लोक कल्याण एवं इसके सूत्र व सिद्धांत पर निहित है।
मृतिका भक्षण लीला का अर्थ बताते हुए चंद्राचार्य ने कहा कि यह भू देवी को सम्मान प्रदान कर जीव व सृष्टि मात्र का आश्रम ब्रह्मा ही है। यहां पांच तत्वों में से पृत्व तत्व का शोधन किया था। तृणावर्त उद्धार लीला के संपन्न में उन्होंने कहा कि यह श्रीकृष्ण के प्रकृति के संतुलन की योजना थी। इसी के अंतर्गत पंच तत्वों में से वायु तत्व का शोधन किया गया था। अंधासुर लीला व केशी मर्दन लीला, इंद्र मान भंग लीला भी आकाश तत्व के शोधन का उद्देश्य है। कालिया नाग लीला का उद्देश्य जल तत्व के शोधन एवं नदियों को प्रदूषण से बचाने का संदेश था। दावाग्नि पान कर प्रभु श्रीकृष्ण ने अग्नि तत्व का शोधन किया और आंतरिक तौर पर जीवों के शरीर में स्थित उस अग्नि तत्वों का संतुलन व शोध इन लीला का उद्देश्य है। श्रीकृष्ण की हर लीला आनंद दायिनी है। जिसे भद्र लीला कहा गया परंतु लीला के परिप्रेक्ष्य में श्रीकृष्ण का पर्यावरण प्रेम, पर्यावरण रक्षा, संतुलन, नदी पर्वत वन की सुरक्षा उद्देश्य थे। वर्तमान परिस्थितियों का ज्ञान एवं अनुमान भगवान श्रीकृष्ण को तब था तथा उन्होंने अपनी लीला को माध्यम बनाकर आनंद प्रदान करते हुए उन सूत्रों और सिद्धांतों का प्रतिपादन प्राणी मात्र के लिए किया जिनकी वर्तमान में आवश्यकता है और वर्तमान परिवेश में प्रासंगिक भी है। गौ संवर्द्धन, गौ रक्षा, गौ पालन को भी उन्होंने प्रोत्साहित किया था।