दर दर ठोकर खा रही सर्कस खिलाड़ी बबीता
मेला व सर्कस में मौत का कुआं में खेल का प्रदर्शन कर अपनी आजी
जागरण संवाददाता, राउरकेला : मेला व सर्कस में मौत का कुआं में खेल का प्रदर्शन कर अपनी आजीविका चलाने वाली बबीता अंजली कर पति की मौत के बाद दर दर का ठोकर खा रही हैं। पति की मौत के बाद वह यहा कोइड़ा में चाय दुकान चलाकर अपना जीविकोपार्जन कर रही थी। उसकी दुकान तोड़ दी गई है। इसके बाद वह आश्रय की तलाश में राउरकेला पहुंची है। सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु कुसुम ने सोमवार को एडीएम से मिलकर उसे ठहराने की व्यवस्था करने का भरोसा दिया।
सरकार की ओर से महिलाओं की बेहतरी के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं पर 35 वर्षीय बबीता के लिए यह किसी काम का नहीं है। उसके पिता टेनसा माइंस में काम करते थे। शादी के बाद से वह पति बाबू कर के साथ सर्कस में मौत का कुआं खेल दिखाकर जीवनयापन करने लगी। पति की दुर्घटना में मौत तथा माता पिता के देहांत के बाद बबीता अकेली पड़ गई है। जब खेल दिखाने की उम्र नहीं रही तो उसने रोजगार के लिए टेनसा में एक चाय दुकान चलाने लगी। ऐसे में कुछ असामाजिक तत्वों ने उस पर गलत काम करने का लांछन लगाते हुए उसकी दुकान और घर तोड़ दिया। उसे शहर से चले जाने को कहा। पुलिस की ओर से भी वहां कोई सहायता नहीं मिली। आज उसके पास न तो घर है और न ही रोजगार का कोई साधन। वह बेटी को मालदा के एक छात्रावास में छोड़ कर आश्रय की तलाश में राउरकेला पहुंची हैं। सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु कुसुम ने उसके लिए दो दिन के भोजन की व्यवस्था करने के साथ ही सोमवार को राउरकेला एडीएम से मिलकर आश्रय की व्यवस्था कराने का भरोसा दिया है।