चौदह साल से डायन संदेह का दंश झेल रही नुनी एक्का
14 साल से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही 50 वर्षीय नुनी एक्का अब पूरी तरह से टूट चुकी है, वह न तो गांव वालों से बातचीत कर सकती है और न ही सड़क पर सिर उठाकर चल सकती है।
राउरकेला, जेएनएन। लाठीकटा ब्लाक की टायंसर गांव की 50 वर्षीय नुनी एक्का डायन के संदेह के कारण 14 साल से सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही है। उसकी गलती सिर्फ यह थी कि वह अपने घर में भगवान की तस्वीर रखकर नियमित पूजा पाठ करती थी। इससे उसे डायन समझकर ग्रामीणों ने उसके साथ मारपीट की, मैला खिलाया फिर गांव से निकाल दिया। उसने कई जगह इसकी शिकायत की पर कुछ नहीं हुआ। आज हालत यह है कि नुनी एक्का अब पूरी तरह से टूट चुकी है। वह गांव वालों से बातचीत भी नहीं कर सकती है और न ही सड़क पर सिर उठाकर चल सकती है। इससे उसकी एक बेटी व दो बेटों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु कुसुम ने नुनी का हाल पानपोष उपजिलापाल विश्वजीत महापात्र को बताया और उनसे नुनी को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल करने का अनुरोध किया।
शांतनु ने बताया कि टायंसर गांव निवासी डहरू एक्का की मौत के बाद नुनी तीन बच्चों को लेकर रहती थी। भगवान पर पूरा विश्वास होने के कारण घर में देवी देवताओं की तस्वीर रखकर सुबह शाम वह पूजापाठ करती थी। उसकी इस भक्ति को देख ग्रामीणों को डायन होने का संदेह हुआ। 4 मई 2004 की शाम को वह घर में अकेली थी तभी गांव के लोगों ने उस पर हमला कर दिया। उसके साथ मारपीट की तथा निर्वस्त्र कर उसे गांव में घुमाया। मैला भी खिलाया तथा ब्राह्मणी नदी पार कर छोड़ दिया एवं दुबारा गांव में नहीं आने की चेतावनी दी।
गांव के किसी भी व्यक्ति ने उसका साथ नहीं दिया। घटना के बाद नुनी ने कलुंगा पुलिस चौकी में इसकी शिकायत दर्ज कराई पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद ब्राह्मणीतरंग थाना में इसकी शिकायत की। जानकारी मिलने पर तत्कालीन जिलापाल तथा महिला आयोग की अध्यक्ष भी उसके घर गई थी एवं न्याय दिलाने का भरोसा दिया था पर अब तक उसे कुछ हासिल नहीं हुआ।
सोमवार को विश्व हिन्दू परिषद के पश्चिम ओडिशा धर्म प्रचार प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु कुसुम ने उपजिलापाल विश्वजीत महापात्र से मिलकर इसकी शिकायत की एवं नुनी को न्याय दिलाने का अनुरोध किया।