विस्थापितों ने मांगी नौकरी व अनुपयोगी जमीन की वापसी
बंडामुंडा मार्शलिंग यार्ड निर्माण के लिए 1963 में करीब तीन हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण एवं दो हजार से अधिक परिवारों के विस्थापन के बाद अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है।
जागरण संवाददाता, राउरकेला : बंडामुंडा मार्शलिंग यार्ड निर्माण के लिए 1963 में करीब तीन हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण एवं दो हजार से अधिक परिवारों के विस्थापन के बाद अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। विस्थापितों ने बुधवार को राउरकेला स्थित दीप्ति होटल के समक्ष प्रदर्शन किया एवं रांची व चक्रधरपुर रेल मंडल के संसदीय कमेटी व रेल अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक में शहर पहुंचे सांसद व अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन सौंपा। मांगों को लेकर सुबह से बैठक खत्म होने तक वे यहां डटे रहे। स्थानीय सांसद जुएल ओराम, बरगढ़ सांसद सुरेश पुजारी, जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो से भरोसा मिलने के बाद वे वहां से हटे।
बंडामुंडा मार्शलिग यार्ड विस्थापित संघ के अध्यक्ष डेमे ओराम की अगुवाई में विस्थापित सुबह साढ़े दस बजे राउरकेला पहुंचे। होटल दीप्ति में आने वाले सांसद व रेल मंत्रियों के समक्ष प्रदर्शन किया एवं अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। सांसदों को दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि दक्षिण पूर्व रेलवे की ओर से बंडामुंडा में मार्शलिग यार्ड, डुमेरता लाइन निर्माण के लिए अधिग्रहीत तीन हजार एकड़ जमीन में से करीब एक हजार एकड़ का उपयोग नहीं हुआ है। इस जमीन पर बाहर से आकर लोग अतिक्रमण कर रह रहे हैं। पांच सौ एकड़ जमीन पर कब्जा हो चुका है एवं इनमें मकान व व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाए गए हैं। स्थानीय व जमीन के मूल मालिकों को इसमें कुछ नहीं मिल रहा है। रेलवे गेजेट नोटिफिकेशन एवं अनुसूचित जनजाति आयोग के निर्देशों का पालन भी नहीं हो रहा है। इससे वर्षों से स्थानीय लोग उपेक्षित हैं। देवा खलको, जगन्नाथ मुंडारी, सुंदरगणी महतो, सुकराम ओराम, गाने ओराम, महादेव तांती, सुदु ओराम, राजेश ओराम, अजय लकड़ा, बाजू केरकेटा, सुरज केरकेटा, नवीन एक्का, दुबराज राउत, प्रमोद महाली, आशोक महली आदि लोग शामिल थे। सांसदों से मिला आश्वासन : बैठक स्थल पर आंदोलनरत विस्थापितों को सांसद सुरेश पुजारी, सांसद विद्युत वरण महतो व सांसद जुएल ओराम ने उनकी मांगें रेल प्रशासन एवं मंत्रालय तक पहुंचाने का भरोसा दिया है। बताया कि विस्थापितों को न्याय नहीं मिलने की जानकारी मिलने के बाद संसदीय कमेटी की बैठक में मुद्दा उठाया गया है एवं अधिकारियों का इस ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। उनकी समस्या प्रधानमंत्री तक पहुंचायी जाएगी।