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यूपीएससी में राउरकेला की बेटी संजीता को 10वीं रैंक

शहर में रहकर इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने वाली संचिता महापात्र ने संघ लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश (यूपीएससी) की परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 10वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 12:36 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:41 AM (IST)
यूपीएससी में राउरकेला की बेटी संजीता को 10वीं रैंक
यूपीएससी में राउरकेला की बेटी संजीता को 10वीं रैंक

जागरण संवाददाता, राउरकेला : शहर में रहकर इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने वाली संचिता महापात्र ने संघ लोकसेवा आयोग उत्तर प्रदेश (यूपीएससी) की परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 10वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है। संचिता ओएएस की परीक्षा में भी दूसरा स्थान प्राप्त कर चुकी है।

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राउरकेला के छेंड कॉलोनी के एमआइसीआर-25 निवासी शक्तिपद महापात्र व अंजली महापात्र की बेटी संजीता महापात्र ने छेंड कॉलोनी स्थित चिन्मय स्कूल से पढ़ाई की। 2006 में आइसीएसइ की परीक्षा में 96.3 फीसद अंक के साथ अव्वल रही। इसके बाद बीजेबी ऑटोनॉमस कॉलेज से इंटर करने के बाद सीईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिग में डिग्री ली। वहां से उनका मारुति उद्योग में कैंपस सेलेक्शन हुआ। वर्ष 2013 में राउरकेला इस्पात संयंत्र के प्लेट मिल में सहायक प्रबंधक के पद पर योगदान देने के साथ प्रशासनिक सेवा की तैयारी जारी रखी तथा 2018 में ओडिशा प्रशासनिक सेवा (ओएएस) में राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया। बाद में वह आरएसपी की नौकरी छोड़ कर पति विश्वरंजन मुंडारी जो रिजर्व बैंक मुंबई में मैनेजर के पद पर हैं उनके साथ रहकर प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटी और अंतत: उन्हें सफलता मिली। कोट

मुझे 10वीं रैंक मिलेगी इसकी उम्मीद नहीं थी। सफलता के लिए अधिक समय तक पढ़ना बड़ी बात नहीं है। हमने सप्ताह व महीने के लिए प्लान तैयार कर उसे पैकेज बनाकर खुद तैयारी की। आगे समाज के लिए कुछ करने का लक्ष्य रखा है। अपनी सफलता का श्रेय माता पिता, पति एवं अपने दोस्तों को देना चाहती हूं, जिन्होंने हमेशा हमें प्रोत्साहित किया।

-संजीता महांती। शुरुआत से ही संजीता मेहनती व मेधावी थी। लक्ष्य निर्धारित करना एवं उसे प्राप्त करना वह जानती थी। केवल पढ़ाई में ही नहीं बल्कि नृत्य, गीत, खेलकूद में भी वह आगे रहती थी। उसकी इस सफलता से स्कूल का नाम रोशन हुआ है। आज भी वह अपने स्कूल को नहीं भूली हैं। सफलता मिलने के बाद उसने खुद मुझे इसकी जानकारी दी।

-शर्मिष्ठा कवि शतपथी, प्रिंसिपल, चिन्मय स्कूल, छेंड।


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