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हॉकी प्रतिभाओं को तराश रहे पूर्व सैनिक सुनील तिग्गा

सुंदरगढ़ जिले के आदिवासियों में हॉकी की परंपरा और इसके प्रति उनके गहरे लगाव ने नगर को भारतीय हॉकी का अहम पड़ाव बना दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:47 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:47 PM (IST)
हॉकी प्रतिभाओं को तराश रहे पूर्व सैनिक सुनील तिग्गा

जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के आदिवासियों में हॉकी की परंपरा और इसके प्रति उनके गहरे लगाव ने नगर को भारतीय हॉकी का अहम पड़ाव बना दिया है। जिले में मौजूद हॉकी प्रतिभाओं को तराशने के लिए राज्य सरकार, भारतीय खेल प्राधिकरण, भारतीय इस्पात प्राधिकरण ने यहां प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें सैकड़ों युवा प्रतिभाओं को वैज्ञानिक व व्यवस्थित हॉकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन पेशेवर प्रशिक्षण केंद्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग व्यक्तिगत स्तर पर प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें उनके मुकाम तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं सुनील तिग्गा।

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चालीस वर्षीय तिग्गा ने चार वर्ष पहले भारतीय सेना से अवकाश लेने के बाद से अपने को गांव में बच्चों को हॉकी की ओर मोड़ने, उन्हें प्रशिक्षण देने, स्वंय को समर्पित करने का निर्णय किया। इसके बाद अपने गांव गोरियामल (राउरकेला से लगभग 40 किमी दूर राजगांगपुर प्रखंड में) प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत कर हॉकी प्रतिभाओं को तराशने की जिम्मेदारी ली है। सुनील तिग्गा 1996 में सेना के आर्मी सप्लाई कोर (एएससी) में भर्ती हुए और 2016 में रिटायर हुए। सेना में रहते हुए वे दो बार सर्विसेस की जूनियर टीम का हिस्सा रहे।

साल के 365 दिन चलता है प्रशिक्षण

सुनील तिग्गा बताते हैं कि 2016 में जब उन्होंने गोरियामल हॉकी कोचिग सेंटर की स्थापना कर बच्चों को प्रशिक्षण देना शुरू किया तो उस समय 14-15 बच्चे प्रशिक्षण के लिए आ रहे थे। जिनकी संख्या अब बढ़कर 150 से अधिक हो चुकी है। इनमें बड़ी संख्या में लड़कियां शामिल है। यहां साल के सभी 365 दिन प्रशिक्षण कार्य चलता है। प्रशिक्षण में वे बच्चों को अलग अलग समूहों में बांटकर उन्हें हॉकी की मूलभूत चीजें हिटिग, ड्रिबलिग, बाल रोकना, शूटिग आदि सिखाते हैं। साथ ही मैच में आक्रमण के तरीके, रणनीति का भी प्रशिक्षण देते हैं। रविवार को केवल दोपहर के अलावा अन्य छह दिन सुबह और शाम प्रशिक्षण चलता है। तिग्गा बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेते।

गोरियामाल फीडिग सेंटर के रूप में चयनित

हॉकी के प्रति तिग्गा की निष्ठा और केंद्र की सफलता ने राज्य में स्थापित नवल टाटा हॉकी एकेडमी को प्रभावित किया है। एकेडमी ने सुंदरगढ़ व संबलपुर जिले में नौ गांवों को अपने फीडिग सेंटर के रूप चुना है। इनमें गोरियामल को भी शामिल किया है। पिछले नवंबर में एकेडमी ने सुंदरगढ़ जिले के कई ग्रामीण प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण के लिए भुवनेश्वर बुलाया था। इसमें सुनील तिग्गा को एलीट कोच बनाया गया है। उनके साथ विभा डुंगडुंग को ग्रास रूट स्तर का सहयोगी कोच मनोनीत किया है।

गांव से निकले हैं कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

गोरियामल गांव ने हॉकी प्रतिभाओं की वजह से जिले में एक विशिष्ट स्थान बनाया है। राज्य की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी ग्लोरिया डुंगडुंग इसी गांव की है। इसी तरह राज्य के पहले अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी पीटर तिर्की ने भी इस खेल का ककहरा गोरियामल के मैदान में सीखा। ओलंपियन विलियम खालको, सुनीता लकड़ा, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रोजलीन डुंगडुंग का भी बचपन इसी मैदान पर खेलते हुए बीता है।

24 बच्चों का सरकारी प्रशिक्षण केंद्र में हुआ चयन

तिग्गा का लक्ष्य है कि उनके केंद्र के अधिक से अधिक बच्चों का सरकारी प्रशिक्षण केंद्रों में चयन हो। साढ़े तीन साल के प्रयास के फलस्वरूप अबतक यहां के 24 बच्चे जिले के पानपोष व सुंदरगढ़ हॉकी छात्रावासों में प्रवेश पा चुके हैं। वर्ष 2019 में 9 बच्चों का चयन हुआ है।


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