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सेल ने विक्रय और विक्रेय इस्पात उत्पादन में लगायी छलांग

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे शनिवार को जारी किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:13 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 11:13 PM (IST)
सेल ने विक्रय और विक्रेय इस्पात उत्पादन में लगायी छलांग
सेल ने विक्रय और विक्रेय इस्पात उत्पादन में लगायी छलांग

जागरण संवाददाता, राउरकेला : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे शनिवार को जारी किए हैं। इस तीसरी तिमाही के दौरान कंपनी ने पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले अपने कारोबार में 5 फीसद की वृद्धि दर्ज की है। इस्पात कीमतों में गिरावट के बावजूद, इस तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले कंपनी ने 3 फीसद वृद्धि के साथ 39 लाख टन उत्पादन और 26 फीसद बढ़ोत्तरी के साथ 41 लाख टन विक्रय किया है। इससे सेल आय में बढ़ोत्तरी हासिल करने में सफल रहा। इस्पात कीमतों में गिरावट ने इस तिमाही के दौरान सभी प्रमुख घरेलू इस्पात उत्पादकों के वित्तीय प्रदर्शन को प्रभावित किया है। जिसने न केवल सेल के मुनाफे को प्रभावित किया बल्कि कंपनी को तीसरी तिमाही के दौरान 429.62 करोड़ का नुकसान हुआ है।

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सेल अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि यह तिमाही पूरे उद्योग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रही, क्योंकि इस दौरान सभी प्रमुख इस्पात उत्पादकों का वित्तीय निष्पादन प्रभावित हुआ। हमने इस चुनौती को एक अवसर के रूप में लेते हुए, अपनी नई मिलों से उत्पादन बढ़ाने के अपने प्रयास तेज करते हुए लगातार अपनी प्रक्रिया क्षमता में सुधार किया है। कंपनी लागत घटाने से लेकर मुनाफा बढ़ाने पर अधिक फोकस करते हुए अपने उत्पादों की सूची में और नए उत्पाद जोड़ रही है ।

अध्यक्ष ने कहा कि इस तीसरी तिमाही के दौरान कड़ी बाजार प्रतिस्पर्धा के बीच इस्पात की कीमतों में गिरावट के बावजूद सेल इस्पात विक्रय और विक्रेय इस्पात उत्पादन में वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा। हाल ही में लागत में कमी लाने के लिए किए गए प्रयासों के साथ-साथ बाजार दशाओं में सुधार के चलते हम चौथी तिमाही में बेहतर निष्पादन की उम्मीद कर रहे हैं।

सेल ने तीसरी तिमाही के दौरान पिछली तिमाही के मुकाबले तकनीकी-आíथक मानकों जैसे ब्लास्ट फर्नेस उत्पादकता में 12.4 फीसद, कोक रेट में 5.3 फीसद, कॉल डस्ट इंजेक्शन (सीडीआई) उपयोग में 40 फीसद, विशिष्ट ऊर्जा की खपत में 2.4 फीसद, कॉनकास्ट रूट के जरिये उत्पादन में 8.5 फीसद सुधार दर्ज किया है।


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