बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से केंदु पत्ता बर्बाद
बेमौसम बारिश से केंदु पत्ता संग्रह कर साल भर की जरूरत की स
जागरण संवाददाता, राउरकेला : बेमौसम बारिश से केंदु पत्ता संग्रह कर साल भर की जरूरत की सामान खरीदने वाले जिले के साठ हजार से अधिक श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। फणि तूफान एवं उससे पूर्व हुई बारिश व ओलों के कारण पत्ते मोटे और बड़े हो गए और फट भी गए हैं। जिसके कारण उनकी गुणवत्ता घट गई है। वहीं, संग्रह करने वालों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में केंदु पत्ता संग्रह कर ग्रामीण क्षेत्र के लोग साल भर की जरूरत के सामान खरीदते हैं। केवल बणई अनुमंडल में संग्रह करने वाले ग्रामीणों की संख्या 15 से 20 हजार है। बणई वन मंडल में राजामुंडा, खुटगांव, बणई रेंज हैं। राजामुंडा रेंज में 40 फड़ी यानी पत्ता सुखाने की जगह हैं एवं 3600 से अधिक परिवार के लोग संग्रह का काम करते हैं। खुटगांव रेंज में 48 फड़ी हैं जिसके लिए 4500 से अधिक परिवार काम करते हैं। इसी तरह बणई रेंज में 47 फड़ी हैं एवं इसके लिए पांच हजार से अधिक परिवार काम करते हैं। सुंदरगढ़ व राउरकेला डिविजन के दो सौ से अधिक फड़ियों के लिए 50 हजार से अधिक ग्रामीण परिवार के लोग केंदु पत्ता का संग्रह करते हैं। एक से डेढ़ महीने तक पत्ता संग्रह का काम चलता है एवं इसमें प्रत्येक परिवार को पांच से दस हजार रुपये तक की आय होती है। इस पैसे से साल भर के कपड़े, खेती के लिए बीच, पशु, बच्चों के लिए पुस्तक कॉपी एवं अन्य सामग्री खरीदी जाती है। बेमौसम बारिश एवं ओला वृष्टि के कारण केंदु पत्ते बड़े मोटे और कट फट गए हैं। जिस कारण अच्छे पत्ते का संग्रह संभव नहीं हो पा रहा है। इस साल पत्ते का संग्रह आधे से कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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