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Jagannath Puri Rath Yatra 2021: गजपति महाराज छेरा पहंरा करने को तैयार, बोले- भक्त विहीन रथयात्रा सुंदर नहीं दिखती

Jagannath Puri Rath Yatra 2021 कोरोना महामारी के बीच पुरी में महाप्रभु जगन्‍नाथ की रथयात्रा की तैयारी जोर शोर से चल रही है। हालांकि इस बार भी बिन भक्‍तों के ही यात्रा निकाली जाएगी। गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने कहा कि वह छेरा पहंरा के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 03 Jul 2021 10:25 AM (IST)Updated: Sat, 03 Jul 2021 10:25 AM (IST)
गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव छेरा पहंरा करने को तैयार

पुरी, जागरण संवाददाता। महाप्रभु का आशीर्वाद रहेगा तो रथयात्रा में मैं छेरा पहंरा करूंगा। गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने मीडिया से शुक्रवार को यह बात कही है। कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए स्नान पूर्णिमा में गजपति महाराज छेरा पहंरा नहीं कर पाए थे। गजपति महाराज ने कहा है कि भक्त विहीन रथयात्रा सुंदर नहीं दिखती है। हालांकि दूरदर्शन के माध्यम से अनगिनत भक्त रथयात्रा देख पाएंगे।

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छेरा पहंरा करने के लिए मैं तैयार

गजपति महाराज ने कहा है कि बड़दांड को भक्त विहीन देखने पर मन में दुख होता है। कोरोना महामारी ने जो परिस्थिति उत्पन्न की है उसके चलते प्रतिबंध के बीच रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। हर साल लाखों की संख्या में भक्त रथ खींचते थे। पिछले साल भी भक्तों को इस अवसर से वंचित होना पड़ा था और केवल सेवकों के जरिए रथ खींचा गया था। कम संख्या में सेवक तीनों रथों को खींचकर एक ही दिन में पहुंचा दिए थे जो कि महाप्रभु की करुणा के जरिए ही संभव हुआ था।  गजपति महाराज ने कहा है कि रथ के ऊपर जाकर छेरा पहंरा करने के लिए मैं पूरी तरह से तैयार हूं। महाप्रभु की कृपा होगी एवं कोरोना के कारण कोई प्रतिकूल परिस्थिति उत्पन्न नहीं होगी तो फिर मुझे इस साल छेरा पहंरा करने का अवसर मिलेगा।

अंतरात्मा की दृष्टि से हो रहा है महाप्रभु का दर्शन

रथयात्रा के अनुभव के बारे में पूछे जाने पर गजपति महाराज ने कहा कि महाप्रभु का दर्शन अंतरात्मा की दृष्टि से हो रहा है। अपने हृदय के माध्यम से हम महाप्रभु का सूक्ष्म दर्शन कर सकते हैं। कर्ता के तौर पर महाप्रभु के प्रत्येक पर्व में गजपति महाराज की सेवा रहती है। रथयात्रा, स्नान यात्रा, लक्ष्मीनारायण भेंट गजपति महाराज के द्वारा की जाती है। महाप्रभु के प्रथम सेवक के तौर पर गजपति महाराज सदियों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।

महाप्रभु जो चाहते हैं वही होता है

2015 नव कलेवर के बारे में गजपति महाराज ने कहा कि पहले की मूर्ति एवं वर्तमान की मूर्ति में कोई भी अंतर नहीं है। पहले की मूर्ति अत्यंत शांत थी एवं वर्तमान की मूर्ति अत्यंत उग्र होने को लेकर चर्चा होने के संदर्भ में गजपति महाराज ने कहा कि महाप्रभु की लीला के बारे में कोई नहीं कह सकता है। 2015 से जो सब घटनाएं हो रही हैं वह सब महाप्रभु की लीला के जरिए ही संभव है। पूरे ब्रह्मांड में महाप्रभु के लीला का वर्णन है। महाप्रभु जो चाहते हैं वही होता है। मानव समाज का बीच-बीच में महाप्रभु परीक्षा लेते हैं। कोविड की स्थिति भी महाप्रभु की और एक परीक्षा ही है।


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