Jagannath Puri Rath Yatra 2021: बुखार से पीड़ित श्रीविग्रहों के शरीर में आज लगेगा फुलरी तेल, स्नान के बाद हो गए थे बीमार
Jagannath Puri Rath Yatra 2021 देव स्नान पूर्णिमा के दिन शीतल जल से स्नान करने के बाद बीमार महाप्रभु अब ठीक हो रहे हैं। आज उनके शरीर पर खास तरीके से तैयार किया गया फुलरी तेल लगाया जाएगा। इसके बाद ओसुअ लेप सप्तमी अष्टमी एवं नवमी तिथि में लगाया जाएगा।
पुरी, जागरण संवाददाता। देव स्नान पूर्णिमा के दिन 108 घड़े शीतल जल से स्नान करने के बाद बीमार पड़े जगन्नाथ महाप्रभु अब धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। श्री विग्रहों (जगन्नाथ, बलबद्र, सुभद्रा एवं सुदर्शन) की अणवसर गृह में दइतापति सेवकों द्वारा गुप्त सेवा की जा रही है। श्री विग्रहों के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने के बाद मंगलवार को दइतापति सेवकों द्वारा श्रीविग्रहों की शरीर में जड़ी बूटी से निर्मित फुलरी तेल लगाया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ रथखला में रथ निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर चल रहा है।
कैसे तैयार किया जाता है फुलरी तेल
जानकारी के मुताबिक श्रीविग्रहों की बुखार से होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए आषाढ़ शुक्ल पंचमी तिथि में बड़ ओडिआ मठ की तरफ से जगन्नाथ मंदिर में यह तेल लाया गया। एक साल पहले तीन घड़े में जुई, जाई, बउल, मली फुल, बेड़ाचेर, चुआ, परख, पिंगल एवं कर्पूर, कस्तूरी आदि को कोल्हू से पेराई किए गए तिल्ली (राशि) के तेल में मिलकार हेरापंचमी तिथि में आधी रात को मठ की जमीन में चार फीट गड्ढे के नीचे गाड़ दिया जाता है। इस घड़े को हर साल चतुर्दशी तिथि में निकालकर साफ-सफाई कर तेल को छानकर मिट्टी के घड़े में भर कर एक मठ में रख दिया जाता है। मठ की ओर से 3 घड़ा, दइतापतियों की तरफ से 3 घड़ा और प्रशासन की ओर से एक घड़ा यानी कुल 7 घड़े में रखा फुलरी तेल श्रीविग्रहों को लगाने की परंपरा है।
इसके बाद लगेगा ओसुअ लेप
इसके बाद जगन्नाथ मंदिर के सुदु सुआर के द्वारा बनाया गया (झुना, आटा, तिल्ली के तेल से निर्मित) ओसुअ लेप को सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी तिथि में तीन दिन तक लगाया जाएगा। दशमी तिथि में राज वैद्यों के द्वारा दशमूल लागी किया जाएगा। जगन्नाथ मंदिर के लिए पुरी में 4 राज वैद्य हैं। ये कई प्रकार के जड़ी बूटी से दशमूल बनाए हैं, जिसे लगाया जाएगा। इसके बाद भगवान को थोड़ा आराम मिलने से श्री विग्रहों का चका विजे किया जाता है। इसी दिन गजपति महाराज एवं मंदिर प्रशासन की तरफ से नैवेद्य दिया जाता है, एकादशी तिथि में लगने वाले इस भोग राजभोग कहते है।
रथ निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर
वहीं दूसरी तरफ 12 जुलाई को होने वाली विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए रथखला (रथ निर्माण स्थल) में तीनों रथों का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है। रथ निर्माण में 200 से अधिक सेवकों को नियोजित किया गया है, जो कि पूरे तन मन के साथ रथ निर्माण कर रहे हैं। सेवकों का कहना है कि समय से पहले रथयात्रा के लिए तीनों रथों को तैयार कर दिया जाएगा।