श्रीमंदिर प्रशासन हुआ सख्त: महाप्रभु की नीति में हुई गलती तो सेवा से बाहर होंगे सेवायत
श्री मंदिर प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि महाप्रभु के नीति पालन में किसी तरह की अवहेला होने पर सेवायत के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पुरी, जेएनएन। गलती करने पर महाप्रभु की सेवा से सेवायतों को वंचित करने संबंधित फैसले पर गराबड़ु नियोग ने नाराजगी जताई है। नियोग ने श्री मंदिर प्रशासन द्वारा लिए गये निर्णय को एक तरफा बताते हुए इसकी आलोचना की है। गराबड़ु नियोग के रजत प्रतिहारी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से पहले छतीसा नियोग के साथ कोई चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि कभी कभार सेवायत अपने घर से आते समय रास्ते में दिक्कत भी हो जाती है उसकी जांच कौन करेगा।
गौरतलब है कि श्री मंदिर प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि महाप्रभु के नीति पालन में किसी तरह की अवहेला होने पर सेवायत के खिलाफ कार्ववाई की जाएगी और लगातार तीन बार ऐसा होने पर संपृक्त सेवायत को सेवा कार्य से वंचित भी किया जा सकता है। श्रीमंदिर के प्रथम सेवक गजपति महाराज की अध्यक्षता में आयोजित श्री मंदिर प्रशासन की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये। श्रीमंदिर मुख्य प्रशासक प्रदीप्त महापात्र ने कहा कि किसी भी सेवायत की 3 बार की गलती माफ की जा सकती है मगर 3 से अधिक गलती करने पर कड़ी कार्रवाई होनी निश्चत है। चौथी बार गलती करने पर मंदिर प्रशासन उस सेवक से सेवा का अधिकार छीन लेगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से श्रीमंदिर की सेवा सुचारू होने के साथ सेवायत भी श्रृंखलित होंगे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि श्रीविग्रहों को अर्पण किए जाने वाले फूल व तुलसीदल से कंपोस्च बनवाकर अगरबत्ती बनाई जाएगी। इससे कूड़ा निपटान की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा श्रीमंदिर में चांदी के सिक्के बेचे जाने का निर्णय लिया गया है। ये सिक्के भगवान जगन्नाथ के नाम पर बना कर भक्तों को बेचे जाएंगे। हालांकि इस बैठक में महाप्रसाद की दर सूची को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।