पारिमाणिक टिकट दर्शन पर सेवायत व प्रशासन में मतभेद
पुरी, जागरण संवाददाता
महाप्रभु के गर्भगृह के अन्दर पारिमाणिक दर्शन बंद कर भीतर लकड़ी के पास पारिमाणिक दर्शन को लेकर विवाद चल रहा है। सेवायतों ने प्रशासन की तरफ से लागू किए गए इस नई प्रथा को विरोध करने के समय प्रशासन इस प्रथा को लागू करने हेतु जिद पर अड़ा है। बुधवार को इस बात को लेकर महाप्रभु की कोई भी नीति मंदिर में अपराह्नं 3 बजे तक संपन्न नहींहो पाई थी। बाद में जिला प्रशासन व सेवायतों के मध्य बैठक आयोजित की गई। सेवायतों ने प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्थावली के अनुसार पारिमाणिक दर्शन करवाने पर सहमति प्रकाश किया। अपराह्नं 3 बजे महाप्रभु का जय विजय द्वारा खोला गया था। बाद में मंगल आरती हुई। गुरुवार को ठीक-ठाक नीति व दर्शन चलने के बाद आज फिर सेवायतों ने हंगामा खड़ा कर दिया है। महाप्रभु का द्वार खुलने के बाद मंगल आरती नहीं हो सकी। चार घंटे तक मंदिर में प्रशासनिक अधिकारी और सेवायतों के बीच झड़प जारी रही। व्यवस्थावली के 6 नंबर में लिखे गए शब्द का सेवायतों की तरफ से विरोध किया गया। भीतर लकड़ी के पास सेवायतों ने रहने के लिए बोलने के समय प्रशासन की तरफ से केवल सेवा करने वाले सेवायत ही वहां रहने की बात कही गई है। बाद में सेवायतों को समझाने के बाद सुबह 10 बजे महाप्रभु की मंगल आरती की गई। इसके बाद श्रीमंदिर कार्यालय में सेवायत प्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारियों के मध्य बैठक जारी है। गौरतलब है कि गर्भगृह में पारिमाणिक दर्शन के द्वारा भगदड़ होने की सम्भावना है और पारिमाणिक दर्शन से महाप्रभु की नीति में देरी होने की कमीशन रिपोर्ट के बाद गर्भगृह में पारिमाणिक दर्शन बंद करने के लिए श्रीमंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया था। सभी निजोग के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने के बाद परिचालना कमेटी बैठक में यह निर्णय कायम रहा। निजोग के कार्यकर्ताओं ने पारिमाणिक दर्शन भीतर लकड़ी के पास होने पर सहमति प्रदान करने के बावजूद बाकी सेवायत इसका विरोध कर रहे हैं।
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