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समलेश्वरी खदान का विस्तार क्षेत्र की जरूरत

महानदी कोल फील्डस लिमिटेड (एमसीएल) ईब घाटी क्षेत्र की समलेश्वरी कोयला खदान के विस्तारीकरण कार्य को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इलाके के नितांत आवश्यक बताया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 09:32 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 09:32 PM (IST)
समलेश्वरी खदान का विस्तार क्षेत्र की जरूरत
समलेश्वरी खदान का विस्तार क्षेत्र की जरूरत

संसू, ब्रजराजनगर : महानदी कोल फील्डस लिमिटेड (एमसीएल) ईब घाटी क्षेत्र की समलेश्वरी कोयला खदान के चौथे चरण के विस्तारीकरण के लिए शुक्रवार को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जनसुनवाई की गई थी। इसमें कुछ लोगों ने कंपनी द्वारा पहले किए गए वादों को न पूरा करने का हवाला देकर खदान विस्तारीकरण का विरोध किया था जबकि इलाके के जनप्रतिनिधि व पर्यावरणविदों की राय है कि क्षेत्र की भलाई एवं समृद्धि के लिए समलेश्वरी कोयला खदान का विस्तार नितांत आवश्यक है। क्षेत्रीय सांसद डॉ. प्रभाष सिंह ने तो पर्यावरण बोर्ड को विगत सात दिसंबर को लिखे पत्र संख्या 3081 में स्पष्ट कहा कि इस कोयला खदान से झारसुगुड़ा जिले में कोयला का सर्वाधिक उत्पादन होता है एवं इससे इलाके के दस हजार लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं और चार सौ लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा एमसीएल द्वारा सीएसआर निधि से गांवों में पानी पहुंचाना, स्वास्थ्य शिविर लगाना, स्कूलों को सहायता प्रदान करना आदि कार्य किए जाते हैं। राष्ट्र की ऊर्जा जरूरत एवं स्थानीय लोगों की सुविधाओं के मद्देनजर इस विस्तारीकरण का पूरी तरह समर्थन करता हूं।

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वहीं स्थानीय विधायक राधारानी पंडा ने भी नौ दिसंबर को लिखे पत्र संख्या 1043-1218 में खदान विस्तारीकरण का समर्थन किया है। हालांकि पंडा ने कंपनी से पौधरोपण पर और अधिक ध्यान देने की अपेक्षा जतायी है। इसी तरह बेलपहाड़ नगरपालिका के अध्यक्ष परशुराम साहू ने भी आठ दिसंबर को लिखे पत्र में समलेश्वरी खदान के विस्तारीकरण पर खुशी व्यक्त करते हुए इसका समर्थन किया है। कहा है कि एमसीएल की खदानों से इलाके के लोग काफी लाभान्वित होते हैं। कंपनी द्वारा इलाके के विकास के लिए काफी खर्च किया जाता है। वहीं संबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सह वरिष्ठ पर्यावरणविद धु्रवराज नायक ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक दिसंबर को पत्र लिखकर खदान के विस्तारीकरण का समर्थन किया है। ऐसे में क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का मानना है कि जन सुनवाई में किया गया संप्रसारण का विरोध निज हित अथवा दलीय हितों के लिए किया गया होगा जबकि पर्यावरणविद भी इसके समर्थन में है।


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