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नवपल्ली उवि में जमीन पर बैठकर पढ़ते विद्यार्थी

झारसुगुड़ा ब्लॉक के लुई¨सग पंचायत का नवपल्ली उच्च विद्यालय स्थापना काल के

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 09:08 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 09:08 PM (IST)
नवपल्ली उवि में जमीन पर बैठकर पढ़ते विद्यार्थी

संसू, ब्रजराजनगर : झारसुगुड़ा ब्लॉक के लुई¨सग पंचायत का नवपल्ली उच्च विद्यालय स्थापना काल के 25वें वर्ष में पदार्पण करने बाद भी समस्याओं से उबर नहीं पाया है। जबकि इस विद्यालय में लुई¨सग के अलावा ठरकसपुर, चारमाटी, बारहखंडिया, भोईमुंडा, बगियाबेरना, बलंगीबहाल तथा निकितमाल के अलावा पड़ोसी जिला सुंदरगढ़ के धौड़ाहता, रेमड़ा आदि गांवों के 114 छात्र-छात्रा पढ़ाई कर नव भारत के निर्माण का ताना-बाना बुनने की कोशिश में हैं। यही वजह है कि स्कूल का रिजल्ट सदैव 80 फीसद से ऊपर आता है और कई छात्र-छात्रा बेहतर परिणाम के साथ क्षेत्र का गौरव भी बढ़ाते हैं। इन सबके बावजूद ब्लॉक ग्रांट स्कूल होने के नाते इस विद्यालय में सुविधा, संसाधनों की जरूरत है, वह आज तक दिखायी नहीं पड़ती।

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पश्चिम ओडिशा विकास परिषद की ओर से विद्यालय में पांच श्रेणी कक्षाओं का निर्माण कराया गया था जिनमें से एक की हालत जर्जर हो चुकी है। बेंच-डेस्क के अभाव में आठवीं के छात्र छात्राओं को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। मध्याह्न भोजन के लिए अदद रसोईघर तक की व्यवस्था नहीं है, इस वजह से बच्चों का भोजन स्कूल के साइकिल स्टैंड में पकता है, इससे हर समय शिक्षकों को उस पर नजर रखनी पड़ती है ताकि बच्चों तक खाना सही पहुंचे। विद्यालय के बच्चों के लिए शौचालय का हाल तो बद बदतर है। यहां एसबेस्टस की व्यवस्था नहीं है और दीवार टूट चुकी है। काबिलेगौर बात ये है कि ब्लॉक ग्रांट इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए कक्षा में ब्लैकबोर्ड तक की व्यवस्था नहीं है। यह विद्यालय सरकारी शिक्षा का स्तर सुधारने में जुटी सरकार के दावों की हकीकत बयां करता दिखता है।

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कोट

ब्लाक ग्रांट विद्यालय होने के कारण स्कूल में सुविधाओं से वंचित है। तमाम प्रयास के बावजूद बच्चों के लिए समुचित शैक्षिक माहौल नहीं बन सका है। शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो स्कूल के बच्चे शिक्षा में बेहतर परिणाम दे सकने में सक्षम हैं।

हेमंत राणा, अध्यक्ष, विद्यालय प्रबंधन समिति

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प्रबंधन समिति के माध्यम से जिलाधीश का ध्यान विद्यालय में असुविधाओं की ओर आकर्षित किया जाएगा। सात शिक्षकों के माध्यम से दी जानेवाली सही शिक्षा की वजह से ही स्कूल का मैट्रिक परीक्षा का परिणाम सदैव 80 प्रतिशत तक रहता है। यह विद्यालय सुविधाओं से वंचित है।

बंधू पटेल, प्रधानाचार्य


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